
ताजपोशी के बाद इन दो देशों का दौरा करना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप, जानें क्या है प्लान
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डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. एक दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बात की थी. शी ने ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए उपराष्ट्रपति हान झेंग को प्रतिनियुक्त किया है.
डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वह बीजिंग के साथ संबंधों को गहरा करने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालने के बाद चीन की यात्रा करना चाहते हैं. उन्होंने भारत यात्रा के बारे में सलाहकारों से भी बात की है. बता दें कि ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान चीनी आयात पर नया टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. साथ ही उन्होंने बीजिंग को उन रासायनिक उत्पादकों पर नकेल कसने के लिए भी कहा था, जिनका इस्तेमाल मैक्सिकन कार्टेल फेंटेनाइल (एक प्रकार का ड्रग) बनाने के लिए प्रमुख सामग्री के रूप में करते हैं.
अमेरिका के प्रमुख फाइनेंशियल न्यूज पेपर द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, 'चर्चा से परिचित लोगों के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सलाहकारों से कहा है कि वह पद संभालने के बाद चीन की यात्रा करना चाहते हैं. उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान चीनी आयात पर अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. उनके इस बयान पर शी जिनपिंग ने भी तीखी प्रक्रिया व्यक्त की थी. ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं.'
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ट्रंप भारत यात्रा की भी कर रहे हैं प्लानिंग
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा, 'ट्रंप के करीबी लोगों के अनुसार, उन्होंने अपने एडवाइजर्स से भारत की संभावित यात्रा के बारे में भी बात की है. परिचित सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक स्तर की बातचीत तब शुरू हुई थी जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने क्रिसमस के आसपास वाशिंगटन डीसी का दौरा किया था.' बता दें कि भारत क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका शामिल हैं.
ट्रंप और PM मोदी की हो सकती है बैठक

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

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