
ट्रंप तीसरी बार भी प्रेसिडेंट बनेंगे? संकेत देते हुए बोले- बहुत पैसा जुटा लिया है
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डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैंने तीसरी बार चुनाव लड़ने के लिए बहुत पैसा जुटा लिया है. लगता है कि इस पैसे का इस्तेमाल मैं खुद के लिए नहीं कर पाऊंगा. इसे लेकर मैं 100 फीसदी पक्का नहीं हूं क्योंकि संविधान के अनुसार मुझे तीसरी बार चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा.
डोनाल्ड ट्रंप ने इस इरादे के साथ राष्ट्रपति पद की शपथ ली है कि वह अमेरिका को एक बार फिर महान बनाकर रहेंगे. बीते एक हफ्ते में वह दर्जनों ऐसे आदेश जारी कर चुके हैं जिन्हें देश को फायदा होने की बात कही जा रही है. इस बीच ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह तीसरी बार भी राष्ट्रपति बन सकते हैं.
ट्रंप ने मियामी में कांग्रेसनल रिपब्लिकन की बैठक में कहा कि मैंने तीसरी बार चुनाव लड़ने के लिए बहुत पैसा जुटा लिया है. लगता है कि इस पैसे का इस्तेमाल मैं खुद के लिए नहीं कर पाऊंगा. इसे लेकर मैं 100 फीसदी पक्का नहीं हूं क्योंकि संविधान के अनुसार मुझे तीसरी बार चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि ये मेरा सौभाग्य होगा कि मैं दो बार नहीं बल्कि तीन या चार बार राष्ट्रपति बना पाऊं. बता दें कि अमेरिकी संविधान के 22वें संशोधन के अनुसार अमेरिका में राष्ट्रपति दो बार तक ही पद पर रह सकते हैं. संविधान में यह संशोधन 1951 में किया गया था.
इस दौरान उन्होंने हंसते हुए रिपब्लिकन हाउस लीडर माइक जॉनसन की ओर मुड़ते हुए कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या मुझे एक बार और चुनाव लड़ने की इजाजत दी जाएगी? माइक?
बता दें कि ट्रंप ने अपने कार्यकाल के शुरुआती एक हफ्ते में कई बड़े फैसले लिए. ट्रंप की हिटलिस्ट में अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे प्रवासी रहे हैं. इन अवैध प्रवासियों के लिए वह पड़ोसी मुल्कों कनाडा, मेक्सिको और कोलंबिया को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. ऐसे में पद संभालने के पहले ही दिन उन्होंने सबसे पहले दक्षिणी सीमा पर प्रवासियों के प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. इसके साथ ही उन्होंने मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के प्रयासों को फिर से शुरू किया है और अवैध रूप से या अस्थाई वीजा पर अमेरिका में रहने वाले प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता देने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा कि अमेरिका में अब से दो ही जेंडर होंगे- पुरुष और महिला. उन्होंने इसे मान्यता देने की बात कही और उन फाइलों पर साइन किए जिनमें जेंडर विचाधारा या फिर विविधता को बढ़ावा देने वाले सभी कार्यक्रमों को खत्म करने पर जोर है.

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