
जिस सैन्य जनरल पर अमेरिका ने लगाया था बैन, उसे चीन ने बनाया अपना नया रक्षा मंत्री
AajTak
China: चीन ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे अमेरिका के साथ उसके रिश्तों में और कड़वाहट आ सकती है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ली शांगफू को अपना नया रक्षा मंत्री नियुक्त किया है. शांगफू वहीं चीनी सैन्य जनरल हैं, जिन पर अमेरिका ने 2018 में प्रतिबंध लगाया था.
चीन और अमेरिका के बीच एक बार फिर तल्खी बढ़ सकती है. दरअसल रविवार को चीन ने अपने सेना के उस जनरल को देश का नया रक्षा मंत्री बनाया है, जिस पर अमेरिका ने बैन लगाया था. चीन के एयरोस्पेस इंजीनियर और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के जनरल, जनरल ली शांगफू पर अमेरिका ने 2018 में प्रतिबंध लगा दिया था. चीनी उपकरण विकास विभाग के निदेशक के रूप में, उस वक्त शांगफू ने रूस के Su-35 लड़ाकू विमान और S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने में एक अहम भूमिका अदा की थी. शांगफू पर अमेरिका के विदेश विभाग ने जो प्रतिबंध लगाए थे उसके मुताबिक, वह अमेरिकी क्षेत्र में किसी भी प्रकार के लेन-देन का हिस्सा नहीं बन सकते थे.
वेई फेंघ का लेंगे स्थान
रविवार को चीन की रबर-स्टैंप संसद, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (सीपीसी) ने जनरल ली शांगफू को नए रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त करने को हरी झंडी दी. वह जनरल वेई फेंघ का स्थान लेंगे. चीन में हर 10 साल में अधिकारियों कैबिनेट मंत्रियों के रूप में नए मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है. अक्टूबर 2022 में में ही फेंघ ने इस्तीफे का ऐलान किया था. 65 साल के शांगफू चीनी सैन्य अफसर के रूप में अहम भूमिका अदा कर चुके हैं. शनिवार को जनरल ली को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) का सदस्य नियुक्त किया गया था. सीएमसी को चीनी सेना का हाईकमान कहा जाता है जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हाथों में होता है.
शांगफू के जरिए विश्व को संदेश
अमेरिकी रक्षा विभाग की 2022 में आई चीन सैन्य रिपोर्ट में जनरल ली शांगफू को उस जनरल ऑफिसर के रूप में वर्णित किया गया था, जो जिनपिंग को 'अंतरिक्ष मुद्दों पर सैन्य आधुनिकीकरण को लेकर तकनीकी विशेषज्ञता' प्रदान करते हैं. डिप्लोमैट पत्रिका के अनुसार, '2012 में शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से ली का कद चीन के अंतरिक्ष उद्यम क्षेत्र में बढ़ता ही चला गया. इसके जरिए जिनपिंग ने विश्व को एक संदेश भी दिया गया है कि चीन-अमेरिका तकनीकी प्रतिस्पर्धा के बीच वह अपने रक्षा आधुनिकीकरण एजेंडे में एयरोस्पेस को प्राथमिकता देगें.'
जनरल ली शांगफू की नियुक्ति चीनी सेना (PLA) के सीनियर लीडरशिप में हुए बदलाव की तुलना में अधिक निरंतरता को प्रदर्शित करती है. वेई फेंघ की तरह ली के हाथों में चीन के रक्षा आधुनिकीकरण कार्यक्रम की कमान रहेगी, जिसे जियांग जेमिन से लेकर शी जिनपिंग तक ने अपना समर्थन दिया है. सर्वोच्च रैंकिंग वाले स्टेट काउंसलिर और सीएमसी सदस्य के रूप में ली शी शांगफू की जिनपिंग तक सीधी पहुंच रहेगी और वह उनके प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेंगे.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







