!['जिन लोगों को मैसेज देने का मकसद था, उम्मीद है उन्हें मिल गया होगा', उरी-पुलवामा हमले को लेकर बोले विदेश मंत्री जयशंकर](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202405/664ea40a891dd-s-jaishankar-230353426-16x9.jpg)
'जिन लोगों को मैसेज देने का मकसद था, उम्मीद है उन्हें मिल गया होगा', उरी-पुलवामा हमले को लेकर बोले विदेश मंत्री जयशंकर
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पुलवामा और उरी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया सख्त थी. विदेश मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य साफ था कि इस तरह की हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इसकी कीमत चुकानी होगी.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को नई दिल्ली में 'विकसित भारत@2047' विषय पर आयोजित चर्चा में भाग लेते हुए 26/11 के आतंकवादी हमले और उरी तथा पुलवामा में हुए आतंकी हमलों के बाद भारत की प्रतिक्रिया की तुलना की. विदेश मंत्री ने कहा कि उरी और पुलवामा आतंकवादी हमलों पर भारत द्वारा दिए गए जवाब ने इसके जिम्मेदार लोगों को “स्पष्ट संदेश” दे दिया कि वे अब “सुरक्षित” नहीं हैं, भले ही वे सीमा पार कर गए हों.
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, 'मुंबई में 26/11 पर हमारी प्रतिक्रिया को देखें और उरी और बालाकोट पर हमारी प्रतिक्रिया को देखें तो चीजें साफ हो जाएंगी. मुझे लगता है कि इससे अधिक स्पष्ट तरीके से और कोई नहीं बता सकता ये आप भी जानते हैं. आज भी सशस्त्र बल वही हैं, नौकरशाही भी वही है, खुफिया जानकारी वही भी है.'
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26/11 के बाद नहीं गई कड़ी प्रतिक्रिया
जयशंकर ने कहा कि उरी और पुलवामा हमलों के बाद भारत की प्रतिक्रिया ने एक "स्पष्ट, सीधा संदेश" भेजा और जिन लोगों को यह संदेश दिया गया था उम्मीद है कि उन्हें यह मिल गया होगा. विदेश मंत्री ने कहा, "26/11 जैसी बड़ी घटना हमारी ओर से कड़ी प्रतिक्रिया के बिना हुई और इससे कई मायनों में सामने वाले को यह संदेश गया कि इस देश पर हमला किया जा सकता है.
सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से गया सीधा मैसेज
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लगभग 37 लाख की आबादी वाले मणिपुर के इतिहास में कई घटनाएं हुई हैं. लेकिन पिछले 1 साल में मणिपुर में जो हुआ, इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी. अदालत के एक आदेश के बाद 3 मई 2023 को मणिपुर की घाटी और पहाड़ों में रहने वाले 2 समुदायों के बीच ऐसी जंग छिड़ गई थी, जिसका अभी तक अंत नहीं हो सका है. इंफाल समेत पूरी घाटी में रहने वाले मैतेई बहुल इलाकों और घाटी के चारों तरफ पहाड़ों पर रहने वाले कुकी आदिवासी बहुल इलाकों के बीच एक अनकही खाई बन गई है.
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डीजीपी ने कहा, 'जब आप किसी खतरे या चुनौती के बारे में बात करते हैं तो आप देखते हैं कि यह कितना गंभीर या बड़ा है. चुनौतियां सीमा पार से आ रही हैं और टेरर हैंडलर्स ने तय किया है कि वे इस तरह की आतंकी गतिविधियां को जारी रखेंगे. वे देख रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दिन अब गिनती के रह गए हैं क्योंकि घाटी में आतंकी ढांचे को बड़ा झटका लगा है.'