ज़मानत मिलने के बावजूद 5,000 विचाराधीन क़ैदी जेलों में थे: नालसा
The Wire
नवंबर 2022 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर दिए गए भाषण में ज़मानत राशि भरने के लिए पैसे की कमी के कारण ग़रीब आदिवासियों के जेल में बंद होने का ज़िक्र किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे क़ैदियों का ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ताजा आंकड़ों के अनुसार जमानत दिए जाने के बावजूद लगभग 5,000 विचाराधीन बंदी जेलों में थे, जिनमें से 1,417 को रिहा कर दिया गया है.
शीर्ष अदालत को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में नालसा ने कहा कि वह ऐसे विचाराधीन बंदियों का एक ‘मास्टर डेटा’ तैयार करने की प्रक्रिया में है, जो गरीबी के कारण जमानत राशि भरने में अक्षम थे. इनके जेल से बाहर न आ पाने का यह भी एक कारण है.
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 29 नवंबर के अपने आदेश में उन विचाराधीन बंदियों का मुद्दा उठाया था, जो जमानत मिलने के बावजूद जमानत की शर्त नहीं पूरी कर पाने के कारण जेल में हैं.
पीठ ने कहा था कि जेल अधिकारियों को विचाराधीन कैदियों के नाम, उनके खिलाफ आरोप, जमानत आदेश की तारीख, जमानत की किन शर्तों को पूरा नहीं किया गया और जमानत के आदेश के बाद उन्होंने जेल में कितना समय बिताया है, इस तरह के विवरण प्रस्तुत करने होंगे.