
जब समंदर का पानी साफ हो सकता है तो यमुना का क्यों नहीं? दिल्ली में फोम वाले पानी का इलाज क्या?
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अरविंद केजरीवाल ने यमुना को साफ करने के लिए 2025 तक का लक्ष्य रखा है और समय सीमा को पूरा करने के लिए बेहतर कोऑर्डिनेश सुनिश्चित करने के लिए यमुना सफाई प्रकोष्ठ का गठन किया है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में यमुना नदी में जहरीले झाग की सफेद चादर इन दिनों सुर्खियों में है. इसे अंतरिक्ष से सैटेलाइट इमेजरी में भी कैद किया गया है. तस्वीरों में दक्षिण पूर्वी दिल्ली के ओखला इलाके में एक दूसरे से करीब 3 किमी दूरी पर स्थित दो बैराजों के पास यमुना नदी में झाग बहता हुआ दिखाई दे रहा है. इन दिनों सोशल मीडिया पर भी इससे जुड़े वीडियोज वायरल हुए, जिनमें नदी के बड़े हिस्से में झाग दिखाई दे रहा था, जो पानी के ऊपर बादलों जैसा लग रहा था. आइए जानते हैं कि इस स्थिति पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है और किस तरह की तकनीकों से इस तरह के गंदे को पानी को साफ किया जा सकता है.
हेल्थ के लिए खतरनाक है यमुना का पानी
यमुना नदी के प्रदूषित जल के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, खासकर त्योहारों के मौसम के आने पर.
सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा कि शहर की स्थिति पर सरकार बारीकी से नजर रख रही है. पार्टी ने एक बयान में कहा, "अधिकारियों ने इस समस्या से निपटने के लिए पहले ही डिफोमर्स का छिड़काव शुरू कर दिया है और सरकार स्थिति को संभालने और हल करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रही है."
एजेंसी के मुताबिक, साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (SANDRP) के एसोसिएट कोऑर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने बताया कि आमतौर पर यमुना के ऊपरी हिस्से में बाढ़ की स्थिति बनी रहती है, लेकिन इस साल हाल ही में खत्म हुए दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान ऐसी कोई स्थिति नहीं बनी.
भीम सिंह रावत ने कहा कि यह असामान्य है क्योंकि नदी में हर साल इस सेगमेंट में कम से कम दो बार कम या मध्यम बाढ़ आती है. उन्होंने इस बात बारे में भी बात की कि नदी में प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और वन्यजीवों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर चिंता का विषय है. रावत ने आगे कहा, "हालांकि नदी में कुछ प्राकृतिक सफाई क्षमता है, लेकिन प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है. इस साल मानसून के दौरान देखा गया सफेद झाग त्योहारों के वक्त ज्यादा ध्यान देने योग्य हो जाता है."

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