जब गब्बर को पांच बार पटकने वाले 'नफरती' घोड़े पर बैठकर गांववालों को डराने पहुंचा कालिया
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'शोले' की एक खासियत ये है कि फिल्म का एक-एक किरदार बहुत पॉपुलर है. ऐसा ही एक किरदार निभाने वाले वीजू खोटे ने फिल्म के शूट पर बहुत तगड़ा संघर्ष किया था. साढ़े सात मिनट के लिए स्क्रीन पर नजर आए वीजू खोटे को ऐसा घोड़ा मिल गया था, जिसका नाम ही 'नफरती' रख दिया गया था. आइए बताते हैं नफरती और कालिया की संघर्ष कथा.
वीजू खोटे का नाम लेने पर शायद आपको एकदम से कोई चेहरा न याद आए. लेकिन 'कालिया' कहते ही आपको तुरंत 'शोले' फिल्म के एक डाकू का चेहरा याद आ जाएगा. और साथ में याद आएगा डायलॉग- 'मैंने आपका नमक खाया है सरदार'. कालिया के रोल में नजर आए इन एक्टर का नाम ही वीजू खोटे था. कल्ट का दर्जा रखने वाली एक और फिल्म 'अंदाज अपना अपना' में भी वीजू खोटे ने एक मजेदार किरदार निभाया था. 'गलती से मिस्टेक हो गया' लाइन उन्हीं के किरदार रॉबर्ट की बोली हुई है.
'शोले' में वीजू खोटे 7 मिनट से थोड़े ही ज्यादा समय के लिए स्क्रीन पर हैं. लेकिन इन सात मिनटों के लिए फिल्म के शूट पर उन्हें जो झेलना पड़ा, उसके बाद वो शायद ही अगले सात जन्मों तक किसी घोड़े को देखना पसंद करें. और इसकी वजह है 'शोले' में उन्हें मिला घोड़ा- नफरती. असल में नफरती घोड़ा नहीं, घोड़ी थी और इतनी कुख्यात थी कि 'शोले' के सेट पर उसका अपना एक अलग रौब था.
नफरती का एटीट्यूड और धूल फांकते एक्टर इस किस्से के सेंटर में जो घोड़ी है, उसका नाम असल में नेफरतिती था. 'शोले' की कहानी में घोड़े की कहानी का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा था. कहानी में नजर आए डाकू तो घोड़े पर आते ही थे. बसंती के तांगे में चलने वाली घोड़ी धन्नो भी थी. और अलग-अलग मौकों को फिल्म के कई और किरदारों को घोड़ों पर सवार होना था. 'शोले' के अधिकतर एक्टर्स ने इस तरह के एक्शन सीन पहले कभी नहीं किए थे जैसे रमेश सिप्पी की इस फिल्म में थे.
'शोले: द मेकिंग ऑफ अ क्लासिक' किताब के मुताबिक, सीन्स में दिक्कत न हो इसलिए फिल्म के एक्टर्स को मुंबई के जुहू बीच पर घुड़सवारी की ट्रेनिंग करवाई गई. लेकिन कहानी में ट्विस्ट आ गया. फिल्म का शूट बैंगलोर के रामनगर इलाके में होना था. और वहां ये मुंबई वाले घोड़े नहीं थे, जिन्हें लाइट-कैमरा-एक्शन सुनने की आदत हो. ये तो पुलिस के घुड़सवारी दल और मैसूर रेस क्लब से उधार लिए गए घोड़े थे.
राजकुमारी 'नफरती' का गुस्सा बैंगलोर में 'शोले' की टीम को जो 20 घोड़े मिले, उनमें एक घोड़ी थी जिसका नाम था नेफरतिती. उसका ये नाम इजिप्ट की राजकुमारी के नाम पर रखा गया था. नेफरतिती एक रेस हॉर्स थी और उसका स्वभाव भी उसी हिसाब का था. उसे तो लंबी दौड़ मारने की आदत थी. लेकिन यहां मामला शूट का था, जिसमें कैमरे के हिसाब से सधे हुए शॉट लिए जाते हैं.नेफरतिती अपने सवारों को पटकने में इतनी रेगुलर थी कि राइडर्स से उसकी नफरत को देख, सेट पर लोगों ने इसका नाम ही 'नफरती' रख दिया था.
'शोले' के शूट के लिए जो घोड़े लाए गए उनमें कई एक जैसे रंग के थे, 4 सफेद और और पांच काले. लेकिन ब्राउन कलर में सिर्फ नफरती थी. वीजू खोटे के सितारों का कमाल देखिए, गांव में पहली बार डाकुओं के आने वाले सीन में उनकी एंट्री नफरती पर फिल्माई गई थी. इसका मतलब ये था कि अब वो उन्हें हर सीन में सवारी सिर्फ नफरती पर ही करनी थी. और नफरती ठाकुर और गब्बर वाले सीन में, गब्बर बने अमजद खान को पांच बार पटक चुकी थी. एक बार तो वो अमजद की पीठ पर भी चढ़ गई थी और एक बार उसने वीरू का रोल कर रहे धर्मेन्द्र को भी कसकर पटका था.
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