
जब ओशो से मिलने पहुंचे थे नीतीश... सियासत से पहले के उस निर्णायक दौर की कहानी
AajTak
बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते-करते ही पूरी तरह से लोहियावादी हो गए थे. वो छात्र संघ चुनावों में समाजवादी प्रत्याशियों को समर्थन देने में कोई कसर नहीं छोड़ा करते थे. इसके बाद उनको विधानसभा चुनावों में भी समाजवादी विचारधारा से जुड़े लोगों को समर्थन करते देखा गया.
साल 1972...इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद नौसेना में नौकरी की कोशिश, फिर नौकरी नहीं मिलने के बाद नीतीश कुमार सियासी फ़लक पर अपनी क़िस्मत आज़माने की ठान चुके थे. ये वो दिन थे, जब भावी राजनीतिज्ञ नीतीश अपने दोस्तों के साथ ख़ाना-ब-दोश की तरह वक़्त गुज़ारा करते थे. जयपुर, आगरा घूमने और ट्रेन में बैग काटे जाने का शिकार होने के बाद दोस्तों के साथ महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में घूमने की योजना बनी और नीतीश अपने आकर्षण के केंद्र बम्बई की तरफ बढ़ चले.
पेशे से इंजीनियर और नीतीश कुमार के दोस्त रहे डॉ उदय कांत अपनी किताब 'नीतीश कुमार: अंतरंग दोस्तों की नज़र से' में उस दौर का ज़िक्र करते हैं. वे लिखते हैं- नीतीश के लिए बम्बई में सिर्फ़ दो व्यक्ति ही आकर्षण का केंद्र हुआ करते थे- जॉर्ज फ़र्नांडिस और आचार्य रजनीश यानी ओशो.
उदय कांत इस कहानी को आगे बढ़ाते हुए स्वामी आनंद अरुण की किताब 'इन वंडर विद् ओशो' का रिफ़रेंस देते हैं. स्वामी अपनी किताब में कहते हैं कि मैं नीतीश के साथ पंढ़र रोड स्थित वुडलैंड्स अपार्टमेंट्स में रह रहे भगवान रजनीश से मिलने चला गया. पहले तो मुझे बिना किसी पूर्व सूचना के उनके शयनकक्ष तक जाने की अनुमति थी लेकिन हमने पाया कि अब भगवान से मुलाक़ात का मैनेजमेंट पूरी तरह से बदल गया है. हमने प्रार्थना करते हुए भगवान के पास पुर्जा भिजवाया और फिर जवाब आया कि, ‘अगर मैं अकेला उनसे मिलना चाहूं, तो अगली सुबह आऊं लेकिन अगर मुझे अपने दोस्त को भी साथ लाना है, तो अगली शाम आऊं.’
'जब तय हो गईं नीतीश के भविष्य की राहें...'
स्वामी आनंद अरुण आगे लिखते हैं- यह संदेश पाकर मुझे जोर का झटका लगा क्योंकि मुझे पूरी उम्मीद थी कि मेरी चिट्ठी पढ़कर ही भगवान रजनीश मुझे फ़ौरन बुला लेंगे. यह सभी तामझाम देखकर नीतीश पहले से ही निराश हो चुके थे. उन्होंने दोबारा वहां जाने से इनकार करते हुए जॉर्ज फर्नांडिस साहब से मिलने का मन बना लिया. वो आगे कहते हैं कि उसी शाम हम दोनों के भविष्य की राहें तय हो गईं- 'मेरी ज़िंदगी भगवान के चरणों में समर्पित हो गई और नीतीश के क़दम भारत के बेहद अहम राजनेताओं में से एक बनने की डगर पर बढ़ गए.'
कवि नीतीश...

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.







