जंतर मंतर पर विरोध के एक महीने बाद भी केंद्र ने हमारी चिंताओं का जवाब नहीं दिया: मनरेगा मज़दूर
The Wire
देश के विभिन्न इलाकों से आए मनरेगा मज़दूर पिछले 30 दिनों से दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार ने मनरेगा बजट में एक तिहाई की कटौती करने के साथ मोबाइल ऐप आधारित उपस्थिति प्रक्रिया और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य कर दिया है. मज़दूरों ने इसे योजना पर सरकार का तीन तरफ़ा हमला बताया है.
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर मनरेगा मजदूरों को प्रदर्शन करते हुए एक महीने हो गए हैं. इनका कहना है कि केंद्र ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और अन्य नीतियों के लिए बजट में 33 प्रतिशत कटौती सहित उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को सुलझाने में विफल रहा है. मजदूरों के लिए योजना का लाभ प्राप्त करना कठिन हो गया है. मनरेगा मजदूर यूनियन से सुरेश जी नरेगा में मौजूद खराबी को बताया की किस तरीके से सबकुछ Centralised व्यवस्था के कारण मज़दूर परेशान हैं और वाराणसी ज़िले के बारे में बताया जहां के सांसद @narendramodi स्वयं हैं ✊🏽NMMS ऐप वापस लोआधार आधारित भुगतान प्रणाली वापस लो#ReviveNREGA pic.twitter.com/t7VnncBtz1
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि मंत्रालय के अधिकारियों ने श्रमिकों के साथ मुलाकात की है, लेकिन मनरेगा मजदूरों के एकीकृत समूह ‘नरेगा संघर्ष मोर्चा’ का कहना है कि कोई समाधान नहीं निकला है. — NREGA Sangharsh (@NREGA_Sangharsh) March 26, 2023
आंदोलन के 30वें दिन शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए नरेगा संघर्ष मोर्चा के नेता राज शेखर ने कहा कि यह विरोध योजना पर सरकार के ‘तीन तरफा हमले’ के खिलाफ है.
सरकार द्वारा हाल ही में तीन निर्णय लिए गए हैं. पहला, मनरेगा बजट में एक तिहाई की कटौती कर दी गई है, दूसरा मोबाइल ऐप आधारित उपस्थिति (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) प्रक्रिया शुरू की गई है और तीसरा आधार-आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य बना दिया गया है.