
चीन ने फिर दोहराया गलवान जैसा हमला, पड़ोसी देश की नौसेना पर हथौड़े और चाकू-छुरी लेकर टूट पड़े
AajTak
चीन और फिलीपींस के बीच इसे लेकर टकराव बना हुआ है. इस बार चीनी तट रक्षक कर्मी आठ मोटरबोटों पर सवार होकर आए और दो फिलीपींस नौसेना की इन्फ़्लैटेबल नौकाओं को बार-बार टक्कर मारी, उनके जहाजों को छुरी, चाकू और हथौड़ों से क्षतिग्रस्त कर दिया.
चीन ने एक बार फिर गलवान जैसी घटना को अंजाम दिया है. इस बार उसने दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस नौसेना को टारगेट बनाया है. हथौड़े और चाकुओं से लैस चीनी सैनिकों ने फिलीपींस के जवानों को घेरा और उनकी नौकाओं पर हमला कर दिया.
फिलिपिनो अधिकारियों के अनुसार, चीनी सैनिकों ने हमारी नौसेना के सैनिकों को सेकंड थॉमस शोल में तैनात जवानों को भोजन और हथियार समेत अन्य सप्लाई ले जाने से रोकने की कोशिश की और नावों पर हमला किया. दरअसल, दूसरा थॉमस शोल को लेकर चीन ने बखेड़ा खड़ा किया है. चीन अपने मैप में इस समुद्र पर अपना दावा करता है. जबकि दूसरे थॉमस शोल पर फिलीपींस का कब्ज़ा है.1999 में फिलीपींस नौसेना के जहाज को शोल पर उतारा गया था. यह दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीप समूह में एक जलमग्न चट्टान है. जो फिलीपींस के पलावन से 105 समुद्री मील पश्चिम में है. यह एक विवादित क्षेत्र है और ताइवान और वियतनाम समेत अन्य देश भी इस व्यस्त जलमार्ग पर दावा करते हैं.
आठ मोटरबोट में सवार होकर आए चीनी सैनिक
चीन और फिलीपींस के बीच इसे लेकर टकराव बना हुआ है. इस बार चीनी तट रक्षक कर्मी आठ मोटरबोटों पर सवार होकर आए और दो फिलीपींस नौसेना की इन्फ़्लैटेबल नौकाओं को बार-बार टक्कर मारी, उनके जहाजों को छुरी, चाकू और हथौड़ों से क्षतिग्रस्त कर दिया. फिलीपींस सुरक्षा अधिकारियों ने द एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि बहस और बार-बार टकराव के बाद चीनी तट रक्षक कर्मी फिलीपींस नौसेना के जहाजों पर चढ़ गए और आठ M4 राइफलें जब्त कर लीं. ये हथियार बक्सों में पैक किए गए थे.
हमले में फिलीपींस नौसेना के जवान घायल
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि वे कई फिलीपींस नौसेना कर्मियों के साथ भिड़ भी गए, जिनमें से कई घायल हो गए. इनमें से एक जवान ने अपना दाहिना अंगूठा खो दिया. फिलीपींस सेना द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में चीनी सैनिक फिलीपींस नौसेना कर्मियों और उनकी आपूर्ति करने वालीं नावों को घेर रहे हैं और हाथों में चाकू समेत धारदार हथियार लिए हैं. दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे पर चिल्लाते हैं. सायरन बजते हुए सुनाई देते हैं. चीनी कर्मी फिलीपींस नौकाओं को एक डंडे से तोड़ देते हैं और छड़ी के साथ एक बैग जैसी दिखने वाली चीज को पकड़ लेते हैं.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







