
चीन और तालिबान ने ट्रंप की योजना को किया खारिज, बगराम एयरबेस पर अमेरिकी वापसी का विरोध
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ लंदन में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका बगराम एयरबेस को फिर से हासिल करना चाहता है क्योंकि यह उस क्षेत्र के बेहद करीब है जहां चीन अपने परमाणु हथियार बनाता है. ट्रंप की इस टिप्पणी पर तालिबान के वरिष्ठ अधिकारी जाकिर जलाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.
चीन और तालिबान ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान के रणनीतिक बगराम एयरबेस को दोबारा हासिल करने की बात कही थी. यह एयरबेस चीन की सीमा के नजदीक स्थित है और अमेरिका ने 2021 में अफगानिस्तान से हड़बड़ी में की गई वापसी के दौरान इसे खाली कर दिया था.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ लंदन में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका बगराम एयरबेस को फिर से हासिल करना चाहता है क्योंकि यह उस क्षेत्र के बेहद करीब है जहां चीन अपने परमाणु हथियार बनाता है.
ट्रंप की इस टिप्पणी पर तालिबान के वरिष्ठ अधिकारी जाकिर जलाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान में किसी भी विदेशी सैन्य उपस्थिति को कभी स्वीकार नहीं किया गया और यह बात दोहा समझौते के दौरान भी स्पष्ट हो चुकी है. अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंध हो सकते हैं, लेकिन किसी भी हालत में सैन्य उपस्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी.”
चीन ने भी ट्रंप के बयान पर नाराजगी जताई. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में मीडिया से कहा, “क्षेत्र में तनाव और टकराव पैदा करने की कोशिश किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है. चीन अफगानिस्तान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है. अफगानिस्तान का भविष्य अफगान जनता के हाथों में होना चाहिए.”
उन्होंने यह भी कहा कि सभी पक्षों को क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए.
गौरतलब है कि चीन तालिबान सरकार के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर चुका है और अफगानिस्तान में तांबे की खदान और तेल परियोजनाओं में निवेश कर रहा है. उधर, ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि अमेरिका “बगराम एयरबेस दोबारा पाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि तालिबान को हमसे बहुत कुछ चाहिए.” उन्होंने इसके रणनीतिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि बगराम एयरबेस “चीन के परमाणु हथियार उत्पादन केंद्र से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है.”

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