
चीन अपने यहां खेती करने की बजाए दूसरे देशों में क्यों खरीद रहा जमीन? दोहरी साजिश बताते हुए इस अमेरिकी स्टेट ने किया बैन
AajTak
जमीन से लेकर समुद्र तक, चीन हर जगह हथियाने की फिराक में रहता है, लेकिन अब एक नया ट्रेंड दिख रहा है. चीन दूसरे देशों में खेती की जमीनें खरीदकर अपना विस्तार कर रहा है. यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार, अकेले अमेरिका में ही उसने पौने 4 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन खरीद रखी है. अब कई अमेरिकी स्टेट इसपर एतराज जताते हुए चीन को बैन कर रहे हैं.
हाल ही में फ्लोरिडा ने एक बिल को मंजूरी दी, जिसके बाद अब चीन के लोग वहां खेती की जमीनें नहीं खरीद सकेंगे. कई और अमेरिकी राज्य भी इसी तरह की पॉलिसी लाने जा रहे हैं ताकि चीन को अपने यहां फैलने से रोका जा सके. लेकिन सवाल ये उठता है कि चीन आखिरकार दूसरे देशों, वो भी अमेरिका जैसे देश में लंबी-चौड़ी खेती की जमीनें लेकर क्या कर रहा है. क्या उसके अपने पास उपजाऊ जमीन नहीं, या फिर पानी की तंगी है? या कोई और वजह है?
अमेरिका में चीन की कितनी जमीन? अमेरिका ने लगभग 110 देशों को खेती के लिए अपनी जमीन दे रखी है. इन देशों में चीन 18वें नंबर पर है. डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के मुताबिक, चीन ने वहां 3 लाख 84 एकड़ से ज्यादा जमीनें अलग-अलग राज्यों में ले रखी हैं. इनकी कीमत लगभग ढाई सौ मिलियन डॉलर है. वो यहां पर अलग-अलग फसलें उगाता रहा, लेकिन अब इसपर आपत्ति आने लगी है. यहां तक कि स्टेट्स ऐसे बिल्स बना रहे हैं, जिससे कोई भी अमेरिकी निजी या सरकारी जमीन चीनियों को बेची न जाए.
क्यों हो रही है आपत्ति? फॉरेन एडवायजरी रिस्क मैनेजमेंट (FARM) ने इसी साल जनवरी में ये मुद्दा उठाया. उसका कहना था कि जिस हिसाब से चीन या फिर कई दूसरे देश अमेरिका में खेती के लिए जमीन ले रहे हैं, वो डराने वाला है. इनमें से कई देशों से अमेरिका के खास बढ़िया संबंध भी नहीं. इससे ये खतरा भी हो सकता है कि खेती-किसानी के बहाने वे जासूसी करें या लोकल्स को अपने बस में करने की कोशिश करें.
एयरफोर्स बेस के पास खरीद ली जमीन
अक्सर खेती की जमीनें शहर या गांव से बाहर, आबादी से दूर होती हैं. ऐसी जगहों पर सिर्फ खेत नहीं होते, बल्कि कई संवेदनशील स्ट्रक्चर होते हैं. जैसे सैन्य ठिकाना. चीन की ही बात करें तो उसने अमेरिका के नॉर्थ डकोटा में एयर फोर्स बेस से कुछ ही दूर सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद रखी है. ये बहुत संवेदनशील इलाका है. अगर चीन जासूसी पर उतर आए तो नेशनल सिक्योरिटी तक को खतरा हो सकता है.
यही वजह है कि अमेरिका में चीन समेत उन सभी देशों को खेती की जमीन देने से रोकने की तैयारी हो रही है, जिनसे संबंध खास अच्छे नहीं.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.







