
ग्राउंड रिपोर्ट: लेबनान में हेल्थ इमरजेंसी, सिर्फ जंग में जख्मी लड़ाकों का ही हो रहा इलाज
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इजरायल की नवीनतम कार्रवाइयों से संकेत मिलता है कि उसका लेबनान में हिज्बुल्लाह और यमन में हूती सहित इस क्षेत्र में ईरान समर्थित अन्य मिलिशिया संगठनों के खिलाफ अपने हमले को धीमा करने का कोई इरादा नहीं है. इजरायल ने लेबनान की सीमावर्ती गांवों में जमीनी कार्रवाई शुरू कर दी है और उसके निशाने पर हिज्बुल्लाह के ठिकाने हैं.
ईरान समर्थित मिलिशिया ग्रुप हिज्बुल्लाह के शीर्ष नेता हसन नसरल्लाह और कई अन्य कमांडरों की हत्या के बाद भी इजरायल ने दक्षिणी लेबनान के इलाकों पर हमला जारी रखा है. लेबनानी सरकार के दावों की मानें तो इजरायली हमले में अब तक उसके 1000 से अधिक नागरिकों की मौत हुई है और लाखों लोगों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
इजरायली हवाई हमलों के कारण हताहतों की संख्या में वृद्धि के कारण अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है. आजतक के संवाददाता अशरफ वानी लेबनान में ग्राउंड जीरो पर मौजूद हैं और लगातार वहां के हालातों पर अपडेट दे रहे हैं. वह दक्षिणी बेरूत के बाहरी इलाके में स्थित रफीक हरीरी यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल पहुंचे और बताया कि डॉक्टर हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालातों से कैसे निपट रहे हैं.
घायल मरीजों से पटे दक्षिणी बेरूत के अस्पताल
आजतक से बात करते हुए रफीक हरीरी यूनिवर्सिटी अस्पताल के निदेशक डॉक्टर जिहाद सादेह ने कहा, 'आज हवाई हमलों में 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं. कइयों को हल्की चोटें आई हैं, कई गंभीर हैं और इनमें से कुछ अपने अंग भी गवा सकते हैं. यह एक युद्ध है, एक वास्तविक युद्ध है.' डॉक्टर जिहाद सादेह ने इजराइल द्वारा किए गए अंधाधुंध हवाई हमलों के बारे में भी बात की, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचे.
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डॉ. सादेह ने कहा, 'उन्हें (इजरायल) कोई परवाह नहीं है, चाहे हिज्बुल्लाह के एक सदस्य के बदले 100-150 आम नागरिकों की जान क्यों न चली जाए.' मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद डॉ. सादेह ने कहा कि उनकी टीम इस स्थिति से निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार है. उन्होंने 1976 की शुरुआत से शुरू हुए इजरायली हमलों और उसके बाद के युद्धों के बाद से प्राप्त अनुभव को ध्यान में रखते हुए कहा, 'हमें ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया है.'

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