क्यों पाकिस्तान बना हुआ है लाखों शरणार्थियों की पसंद, कौन सी मजबूरी उन्हें कंगाल देश तक ला रही है?
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अपने यहां बढ़ती आतंकी घटनाओं के लिए पाकिस्तान शरणार्थियों को दोषी मान रहा है. अफगानियों समेत सभी अवैध शरणार्थियों को देश छोड़ने का अल्टीमेटम तक जारी हो चुका. इस महीने के आखिर तक उन्हें पाकिस्तान से जाना होगा. लेकिन यहां कई सवाल उठते हैं. पाकिस्तान, जो खुद गरीबी से जूझ रहा है, क्यों किसी भी देश के लोग वहां शरण लेते हैं? और क्या सुलूक होता है वहां उनके साथ?
अमीर देशों में तो शरणार्थी आते ही हैं, लेकिन पाकिस्तान जैसे आर्थिक तौर पर बदहाल देश भी रिफ्यूजियों के लिए हॉटस्पॉट बना हुआ है. वहां लगातार वैध और अवैध दोनों ही तरीकों से लोग आ रहे हैं. इसमें सबसे पहला जिक्र अफगानिस्तान का आएगा. लाखों अफगानी लोग सत्तर के दशक के आखिर से पाकिस्तान में डेरा डाले हुए हैं.
क्यों पहुंचे अफगानिस्तान से लोग पाकिस्तान?
इसकी शुरुआत अफगानिस्तान पर सोवियत संघ से हमले से हुई. साल 1979 में उसने अफगानिस्तान पर हमला किया ताकि तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार को बचा सके. हालांकि उसका शासन ज्यादा नहीं टिका. कई मुजाहिदीन गुट उसके खिलाफ इकट्ठा हो गए. चारों तरफ आतंक का माहौल था. सोवियत हर अफगानी पर शक करता, यही हाल मुजाहिदीनों का था. इसी दौर में करीब 50 लाख अफगानियों ने अपना देश छोड़ दिया. इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान गए, जबकि कुछ प्रतिशत पश्चिमी देशों की तरफ निकल गया.
दो साल पहले दूसरी खेप आई
शरणार्थियों की दूसरी बड़ी खेप साल 2021 में पाकिस्तान पहुंची, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. ये कोविड का भी समय था, जिसमें देश पूरी तरह से तबाह हो गया. यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीस के मुताबिक फिलहाल 80 लाख से ज्यादा अफगानी देश छोड़ चुके हैं, जबकि लगभग साढ़े 3 लाख लोग अपने ही देश में विस्थापितों की तरह जी रहे हैं.

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