
क्या 7 साल बाद शराबबंदी का फैसला वापस लेंगे नीतीश? नए सर्वे के आदेश पर अटकलों के बीच बिहार CM का बड़ा ऐलान
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सात साल पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में शराबबंदी लागू की थी. इसके बाद से लेकर अब तक यह प्रतिबंध लागू है. इस बीच बिहार सीएम ने इस योजना के प्रभाव को जानने के लिए सर्वे के आदेश जारी किए हैं.
बिहार में शराबबंदी के मुद्दे को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है. राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी पर नए सर्वे का आदेश दे दिया है. उनके आदेश नशामुक्ति दिवस पर आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान नीतीश ने शराबबंदी को लेकर खई टिप्पणियां कीं. उन्होंने सभी अधिकारी और कर्मचारियों को नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ने का संकल्प दिलाया.
बिहार में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले 70 साल के नीतीश कुमार ने अपने शुरुआती अनुभवों को याद करते हुए बताया कि आखिर क्यों उन्हें शराब से नफरत हो गई. उन्होंने कहा,'जहां मेरा बचपन बीता, वहां लोग बुरी संगतों से दूर थे. मैं इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए पटना आया तो एक किराए के मकान में रहता था. वहां पड़ोस में कुछ लोग शराब पीकर उपद्रव मचाते थे.
अप्रैल 2016 में उठाया था कदम
नीतीश ने अपने गुरु कर्पूरी ठाकुर के शासन में राज्य में शराबबंदी की कोशिश का जिक्र किया. उन्होंने कहा,'1970 के दशक में वे जनता पार्टी के नेता के रूप में मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन सरकार दो साल से ज्यादा नहीं चल सकी और बाद के शासन ने शराब से प्रतिबंध हटा दिया गया. कई शक्तिशाली लोगों के कड़े विरोध के बावजूद बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 में यह कदम उठाया.
शराब के दुष्प्रभाव का भी किया जिक्र
साल 2018 में किए गए एक सर्वेक्षण में सकारात्मक परिणाम सामने आए. सर्वे के मुताबिक राजस्व में नुकसान की भरपाई लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने और बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए बचाए गए पैसों से ज्यादा थी. कुमार ने कहा विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन में घातक सड़क दुर्घटनाओं सहित शराब के सेवन के हानिकारक प्रभावों का जिक्र किया गया है.

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