
'क्या ट्रंप को अब भी नोबेल मिलना चाहिए?, ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद ओवैसी ने पाकिस्तान को घेरा
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ओवैसी ने कहा कि क्या पाकिस्तानियों को अब यह सवाल नहीं पूछना चाहिए कि क्या उन्होंने ट्रंप को इसीलिए नोबेल दिलाने के लिए समर्थन दिया था, ताकि वह ईरान पर हमला कर सकें?
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान पर तंज कसते हुए कहा कि क्या डोनाल्ड ट्रंप को अब भी नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए? पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने ट्रंप का नाम 2026 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था, जबकि अमेरिका अब ईरान पर बमबारी कर रहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक ओवैसी ने कहा कि क्या पाकिस्तानियों को अब यह सवाल नहीं पूछना चाहिए कि क्या उन्होंने ट्रंप को इसीलिए नोबेल दिलाने के लिए समर्थन दिया था, ताकि वह ईरान पर हमला कर सकें? उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ लंच मीटिंग का जिक्र करते हुए कहा कि क्या ये लंच ट्रंप के ईरान पर हमले के लिए हुआ था? पाकिस्तान पूरी तरह बेनकाब हो गया है.
ओवैसी ने कहा कि अमेरिका के इस हमले से इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फायदा हुआ है, जो गाजा में नरसंहार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 55000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की हत्या हो चुकी है, लेकिन अमेरिका को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
ओवैसी ने अमेरिका और इजरायल के दावों को खारिज करते हुए कहा कि ईरान का परमाणु खतरा महज एक बहाना (boogie) है. इराक और लीबिया में भी यही कहा गया था कि उनके पास जनसंहार के हथियार हैं, लेकिन कुछ नहीं निकला.
'भारत के लिए खतरनाक हो सकता है यह युद्ध' ओवैसी ने कहा कि अगर मध्य पूर्व में युद्ध छिड़ता है, तो इसका असर भारत पर बेहद गंभीर हो सकता है. 1.6 करोड़ भारतीय खाड़ी देशों में रहते हैं और अगर युद्ध शुरू हुआ तो उनकी सुरक्षा और भारत की अर्थव्यवस्था दोनों संकट में पड़ सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि खाड़ी क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के निवेश, विदेशी मुद्रा और ऊर्जा आपूर्ति पर भी संकट आ सकता है.
अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किया हमला बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को अलसुबह पुष्टि की कि अमेरिकी वायुसेना ने ईरान के फोर्डो, नतान्ज़ और इस्फाहान में स्थित तीन अहम परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं. यह हमले 6 B-2 बॉम्बर्स से किए गए, जिनमें 12 भारी बम गिराए गए. CBS न्यूज के अनुसार अमेरिका ने ईरान को स्पष्ट किया है कि यह हमला सीमित दायरे का है और सरकार बदलने की मंशा से नहीं किए गए.

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