
'कोई पूर्व सीएम का बेटा, कोई पूर्व मंत्री का भाई...', बिहार में NDA के 'परिवारवाद' पर RJD का काउंटर अटैक
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नीतीश कुमार के शपथग्रहण के बाद परिवारवाद का मुद्दा फिर चर्चा में है. आरजेडी ने एक पोस्ट जारी कर एनडीए नेताओं के पारिवारिक राजनीतिक संबंधों के बारे में जानकारी साझा करते हुए और आरोप लगाया कि बिहार की सत्ता संरचना राजनीतिक वंशवाद से भरी हुई है.
बिहार में नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद संभाला, जिससे एनडीए के समर्थक खुश हैं. लेकिन विपक्षी पार्टी आरजेडी ने नई सरकार पर परिवारवाद का आरोप लगाकर तीखा हमला किया. गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में शपथ ग्रहण के बाद आरजेडी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली जिसमें कहा गया कि नीतीश सरकार के कई मंत्री परिवार में राजनीति से जुड़े हैं. इस पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार के परिवारवाद के खिलाफ दिए गए बयान पर भी चुटकी ली गई.
आरजेडी ने जो पोस्ट डाली, उसमें सरकार के दर्जनों मंत्रियों को इस तरह बताया गया जैसे वे खुद अपनी राजनीतिक परिवार से जुड़ी पहचान दे रहे हों. पोस्ट में 10 मंत्रियों की राजनीतिक परिवार की जानकारी दी गई. पोस्ट के अंत में लिखा गया कि ये मंत्री प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के खास आशीर्वाद से परिवारवाद खत्म करके बिहार नया बनाएंगे.
यह पोस्ट राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गई. आरजेडी समर्थकों ने इसे एनडीए की दोहराई गई परिवारवाद की पोल बताया, जबकि एनडीए नेताओं ने इसे हार के बाद की निराशा करार दिया.
परिवारवाद का उदाहरण: संतोष सुमन और मांझी परिवार
नई सरकार में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संतोष कुमार सुमन तीन बार मंत्री बनाए गए हैं. वे पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बेटे हैं. खास बात यह है कि मांझी की पार्टी ने पांच सीटें जीती थीं, पर नए विधायक मंत्री नहीं बने, बल्कि विधान परिषद के सदस्य संतोष सुमन को मंत्री बनाया गया. यह कदम मांझी परिवार की सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है, जिसमें परिवार की पकड़ और सियासी ताकत बनाई जा रही है.
संतोष सुमन पढ़े-लिखे नेता हैं, उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए, यूजीसी-नेट और पीएचडी की है. राजनीति में आने से पहले वे शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. मांझी परिवार में अब केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री और दो विधायक जुड़े हैं, जो अच्छी तरह से राजनीति में सक्रिय हैं.

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