
केजरीवाल के बाहर आने से हरियाणा चुनाव में AAP को मिलेगा बूस्टर? कांग्रेस-BJP के लिए क्या हैं रिहाई के मायने
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हरियाणा में बीजेपी की 10 साल से सरकार है. कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है. अब तक दोनों ही पार्टियां चुनावी अभियान में दमखम दिखाती आ रही हैं. इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी भी मैदान में है. अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए आज का दिन खुशियां लेकर आया है. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत मंजूर कर दी है. वे आज तिहाड़ जेल से बाहर निकल सकते हैं. कोर्ट ने केजरीवाल से जुड़ी दो याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि केजरीवाल को जमानत मिल गई है. अब वो हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालेंगे और पार्टी की रणनीति को जमीन पर उतारेंगे. केजरीवाल की रिहाई से BJP और कांग्रेस की टेंशन बढ़ सकती है.
दरअसल, हरियाणा में बीजेपी की 10 साल से सरकार है. कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है. अब तक दोनों ही पार्टियां चुनावी अभियान में दमखम दिखाती आ रही हैं. इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी भी मैदान में है. अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. AAP को चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी के बागी नेताओं से उम्मीदें हैं. 2019 से इतर इस बार AAP ने अपने संगठन का विस्तार भी कर लिया और कई इलाकों में मजबूत पकड़ भी बनाई है. हालांकि, ये तो चुनाव नतीजे के बाद ही स्पष्ट होगा कि AAP का विधानसभा चुनाव में कितना जादू चलता है? लेकिन, अरविंद केजरीवाल की रिहाई ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के चेहरे पर चमक बिखेर दी है.
टाइमिंग के हिसाब से परफेक्ट है केजरीवाल की रिहाई
फिलहाल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल मोर्चा संभाले देखी गई हैं और केजरीवाल की गैरमौजूदगी में धुआंधार प्रचार कर रहीं थीं. उन्होंने केजरीवाल को हरियाणा के लाल और हरियाणा के शेर के तौर पर पेश किया है. हरियाणा में 12 सितंबर को नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है और अब प्रचार अभियान ने गति पकड़ ली है. बड़े नेताओं की रैलियों के कार्यक्रम तय हो गए हैं. ऐसे में केजरीवाल की रिहाई टाइमिंग के हिसाब से परफेक्ट मानी जा रही है.
अब हरियाणा चुनाव में पूरी ताकत से उतरेगी AAP
चूंकि, हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है. हरियाणा में आम आदमी पार्टी का संगठन दिल्ली और पंजाब की तुलना में काफी कमजोर है और ऐसे में केजरीवाल की कैंपेनिंग से ही उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा उम्मीद है. कांग्रेस से गठबंधन की बातचीत टूटने के बाद विपक्षी गठबंधन में भी फूट दिखाई दे रही है. जानकार कहते हैं कि केजरीवाल के बाहर आने से अब ना सिर्फ संगठन में एकजुटता देखने को मिल सकती है, बल्कि नाराज नेताओं को भी मनाकर चुनावी अभियान में जुटाने में मदद मिल सकती है.

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