'काबुल में घर-घर जाकर लोगों को उठाकर ले जा रहे तालिबानी', US एजेंसी का दावा
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काबुल समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में तालिबानी लड़ाकों द्वारा आम लोगों पर अत्याचार की खबरें भी आ रही हैं. इस बीच एक अमेरिकी एजेंसी का दावा है कि काबुल में तालिबानी ज़बरन लोगों को उठा रहे हैं.
अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद भले ही तालिबान दुनिया के सामने अपनी अच्छी छवि पेश करने की कोशिश में हो, लेकिन ज़मीनी हालात बिल्कुल अलग तस्वीर बयां करते हैं. काबुल समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में तालिबानी लड़ाकों द्वारा आम लोगों पर अत्याचार की खबरें भी आ रही हैं. इस बीच एक अमेरिकी एजेंसी का दावा है कि काबुल में तालिबानी ज़बरन लोगों को उठा रहे हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अमेरिकी एजेंसी Association of Wartime Allies के डायरेक्टर किम स्टेफिरी के हवाले से लिखा है कि तालिबान के लड़ाके काबुल में घर-घर जाकर लोगों को उठा रहे हैं और उसके बाद उन लोगों को कुछ पता नहीं लग रहा है. इसके अलावा कई अन्य पूर्व सैनिकों ने अपील की है कि अमेरिका को अफगानियों को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए. वर्ल्ड रिलीफ के वाइस प्रेसिडेंट जेनी यांग का कहना है कि एक भी अफगानी को उस ज़मीन पर छोड़ना काफी मुश्किल होगा. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही कह चुके हैं कि अमेरिकी सेना 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से वापस आ जाएगी और वो अपने फैसले पर अडिग हैं. इस बीच तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की हालत देख दुनिया लगातार अमेरिका के फैसले की निंदा कर रही है. अमेरिका का इस वक्त पूरा फोकस काबुल से अपने लोगों और मित्र देशों के नागरिकों को निकालने पर है. अमेरिकी फोर्स ने काबुल एयरपोर्ट को अपने कब्जे में लिया हुआ है और वहां पर नागरिकों, फ्लाइट्स को सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है. गौरतलब है कि तालिबान ने बीते दिन ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दुनिया से अपील की थी कि उसे अफगानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता दी जाए. तालिबान ने सभी विदेशी और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा का वादा भी किया था.भारत 46वें अंटार्कटिक संसद की मेजबानी कर रहा है. 30 मई तक चलने वाली इस बैठक में बर्फीले महाद्वीप से जुड़े कई मुद्दों पर बात होगी. फिलहाल वैज्ञानिक परेशान हैं क्योंकि अंटार्कटिक महासागर के भीतर धाराएं कमजोर पड़ रही हैं. डर जताया जा रहा है कि साल 2050 तक ये बहाव इतना कम हो जाएगा कि सांस लेने के लिए ऑक्सीजन घटने लगेगी.
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