काफी दिलचस्प है अखाड़ों का लोकतंत्र! 13 सौ साल से चली आ रही परंपरा
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बौद्ध धर्म की लोकप्रियता की वजह से सनातन परंपरा के लुप्त होते और उस पर भी विधर्मी आक्रांताओं के हमलों से उत्पन्न संकट को भांप कर शंकराचार्य ने संन्यासियों की फौज धर्म के प्रचार और अधर्म के नाश के लिए बनाई.
निरंजनी अखाड़े से संबद्ध प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि की मौत ने अखाड़ों पर चर्चा फिर तेज कर दी है. लोग सनातन धर्म की परंपरा में अखाड़ों की परंपरा, व्यवस्था, पदानुक्रम और तरह-तरह की मान्यताएं सब कुछ जानना चाहते हैं. सनातन धर्म में संत, संन्यास और वैराग्य की परंपरा तो सिद्ध और नाथों के काल से मिलती है लेकिन अखाड़ों की परंपरा आदि जगद्गुरु शंकराचार्य के समय से शुरू होती है.
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