
कश्मीर में टारगेट किलिंग से खौफ में हिंदू, मदद के लिए जारी किया गया हेल्पलाइन नंबर
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जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रशासन ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है. कहा गया है कि वे कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. समय रहते शिकायत पर एक्शन लिया जाएगा.
जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग की वजह से कश्मीरी पंडित खौफजदा हो गए हैं और घाटी छोड़ने की बात कर रहे हैं. उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हिंदू कर्मचारियों का जिला मुख्यालय में ट्रांसफर का फैसला पहले ही ले लिया गया है, अब उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए एक अलग सेल बनाने पर भी मुहर लग गई है. जम्मू कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. कहा गया है कि इस नंबर पर कॉल कर अल्पसंख्यक समुदाय अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है.
सामान्य प्रशासन विभाग ने दो नंबर जारी किए हैं- 0194-2506111, 2506112. इसके अलावा jk.minoritycell@gmail.com पर शिकायत को मेल भी किया जा सकता है. प्रशासन को ये फैसला इसलिए लेना पड़ा है कि क्योंकि पिछले कुछ दिनों से आतंकियों ने घाटी में कश्मीरी पंडितों पर लगातार हमले किए हैं. उन्हें गोली का निशाना बनाया गया है, ऐसे में उनके खौफ को कम करने के लिए और उन्हें सुरक्षा की गारंटी देने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है.
वैसे इससे पहले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सीनियर अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की थी. उस बैठक में फैसला लिया गया कि जो भी हिंदू कर्मचारी दूर दराज वाले इलाके में काम कर रहा होगा, उसका ट्रांसफर कश्मीर के जिला मुख्यालय में किया जाएगा. उनकी माने तो ऐसा कर उनकी सुरक्षा को और ज्यादा पुख्ता किया जा सकेगा. इसके अलावा प्रशासन ने उन हिंदू कर्मचारियों को नया और सुरक्षित आवास देने का भी आश्वासन दिया है. जोर देकर कहा जा रहा है कि उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा. लेकिन हिंदू कर्मचारी अभी भी प्रशासन के उस फैसले से संतुष्ट नहीं है. उनकी नजरों में उन्हें अब जम्मू में ट्रांसफर चाहिए. वे खुद को कश्मीर घाटी में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं.
उनकी इस मांग के कई कारण माने जा रहे हैं. सबसे बड़ा तो राहुल भट्ट की हत्या है क्योंकि उसके बाद से ही घाटी में लंबे समय बाद कश्मीरी पंडितों द्वारा सड़क पर उतर विरोध प्रदर्शन किया गया. मोदी सरकार पर भी सवाल उठाए गए और उनसे न्याय की अपील हुई. अब उस प्रदर्शन के बाद प्रशासन हरकत में तो आ गया है. पहले ट्रांसफर वाला फैसला और अब हेल्पलाइन नंबर जारी कर फिर भरोसा जीतने का प्रयास किया जा रहा है.

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