कश्मीर फाइल्स पर नदाव लपिद की राय भारत की प्रतिष्ठा की चिंता का ही नतीजा है
The Wire
इस्राइली फिल्मकार नदव लापिड को लगा कि ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म समारोह की गरिमा को धूमिल करने वाली प्रविष्टि है, उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए उन्होंने ईमानदारी से अपनी राय रखी. भारत उनके लिए सत्यजित राय, मृणाल सेन, अपर्णा सेन आदि का भारत है. वे उसे अपनी निगाह में गिरते नहीं देखना चाहते.
भारत में इस्राइल के राजदूत का फिल्मकार नदाव लपिद को लिखा गया ख़त भारत की संघीय सरकार, उसे चलाने वाले शासक दल और एक तरह से हम सबके लिए शर्म की बात है. ख़त में राजदूत ने अपने ही देश के फिल्मकार को लानत भेजी है. यह कहते हुए कि उनके वक्तव्य की वजह से भारत में राजदूत और शेष इस्राइली नागरिकों का जीवन असुरक्षित हो गया है.
क्यों वे असुरक्षित या डरा हुआ महसूस कर रहे हैं? क्या उन्हें भारत सरकार से डर है? लेकिन वे तो राजदूत हैं,उन्हें सरकार से क्यों डर होना चाहिए? या क्या उन्हें ग़ैरसरकारी हिंसा का डर है? वह हिंसा कौन करेगा? क्या सरकार समर्थक गुंडे? और अचानक यह डर कैसे पैदा हुआ? फिल्मकार नदाव इसकी वजह जैसे बन गए?
इस्राइली फिल्मकार ने गोवा में आयोजित अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह के निर्णायक मंडल की तरफ़ से समारोह की प्रतियोगिता श्रेणी में भारत की प्रविष्टि के बारे में अपनी राय ज़ाहिर करते हुए वक्तव्य दिया. राय फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ के बारे में थी.
फिल्मकार ने उसे फूहड़, प्रचारात्मक फिल्म बतलाया और कहा कि उसका इस स्तर के फिल्म समारोह की प्रतियोगिता श्रेणी में होना बड़ी हैरानी की बात थी. प्रतियोगिता श्रेणी की शेष 14 फिल्में उच्च कोटि की कलात्मक फिल्में थीं और उनके बीच ‘कश्मीर फाइल्स’ जैसी कलात्मक दृष्टि से निकृष्ट फिल्म का होना उनके लिए अफ़सोस और हैरानी की बात थी.