
कभी 'बस कंडक्टर' थे नीरज बवाना के पिता, अब पुलिस ने किया गिरफ्तार... जानें- बेटा कैसे बन गया दिल्ली का सबसे बड़ा डॉन
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दिल्ली के कुख्यात गैंगस्टर नीरज बवाना के पिता प्रेम सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. तिहाड़ में बंद नीरज बवाना का गैंग दिल्ली-एनसीआर का सबसे बड़ा अपराध सिंडिकेट माना जाता है. पढ़ें तस्करी, गैंगवार और माफिया नेटवर्क की पूरी कहानी.
Gangster Neeraj Bawana Crime History: दिल्ली की गलियों से उठकर अपराध की दुनिया का 'दाऊद' बन जाने वाले नीरज बवाना की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. एक बस कंडक्टर का बेटा, जिसने छोटे-मोटे जुर्म से शुरुआत की और देखते ही देखते दिल्ली-एनसीआर में खौफ का दूसरा नाम बन गया. हत्या, लूट और रंगदारी के संगीन इल्जामों के चलते तिहाड़ जेल में बंद नीरज आज भी अपना गैंग चलाता है. हाल ही में उसके पिता प्रेम सिंह की गिरफ्तारी ने इस माफिया डॉन की कहानी को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया. चलिए जान लेते हैं, नीरज बवाना की क्राइम कुंडली.
कौन है नीरज बवाना? नीरज सहरावत उर्फ नीरज बवाना का जन्म दिल्ली के बवाना गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था. उसके पिता प्रेम सिंह बस कंडक्टर थे, जो रोजगार की तंगी में जी रहे थे. नीरज ने बचपन से ही गरीबी का सामना किया, लेकिन स्कूल के बाद वह अपराध की राह पर चल पड़ा. करीब 18 साल पहले, यानी 2007 के आसपास, नीरज ने छोटी-मोटी चोरी और लूट से अपराध की दुनिया में कदम रखा. उसके पिता की मेहनत के बावजूद, नीरज ने गांव के नाम से अपना सरनेम बदल लिया. आज वह दिल्ली-एनसीआर का सबसे कुख्यात गैंगस्टर है. उसके नाम पर हत्या, लूट और धमकी जैसे दर्जनों केस दर्ज हैं. नीरज का उदय एक साधारण लड़के से माफिया डॉन तक की कहानी है.
दिल्ली, हरियाणा और यूपी में कई केस दर्ज नीरज बवाना ने अपराध की शुरुआत छोटे-मोटे गैंगों से की, लेकिन जल्द ही उसने अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया. दिल्ली के बाहरी इलाकों में कई छोटे गैंग सक्रिय थे, लेकिन नीरज का गैंग सबसे बड़ा और खतरनाक बन गया. वह अपने गुर्गों के जरिए सुपारी किलिंग और जबरन वसूली करता रहा. नीरज के खिलाफ दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कई संगीन मामले दर्ज हैं. हत्या के प्रयास, लूटपाट और जान से मारने की धमकियां उसके क्राइम रिकॉर्ड का हिस्सा हैं. जेल के बाहर भी वह अपनी गतिविधियां चला रहा था. नीरज का नाम अपराधियों में खौफ पैदा करता है.
किसी भी हद तक जा सकते हैं नीरज के गुर्गे नीरज बवाना इस वक्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन जेल की दीवारें उसके लिए बाधा नहीं बनीं. वहां से ही वह अपने गैंग को निर्देश देता है और वारदातों को अंजाम दिलाता है. उसके गुर्गे जेल के बाहर उसके इशारे पर किसी भी हद तक जा सकते हैं. दिल्ली और आसपास के इलाकों में नीरज का गैंग दुश्मनों से आमने-सामने भिड़ता रहता है. बीच सड़क पर खूनखराबा उसके गुर्गों के लिए आम बात है. दुश्मन गैंग के सदस्यों को निशाना बनाना उनके लिए रूटीन है. नीरज का साम्राज्य जेल से ही फल-फूल रहा है.
कम नहीं हैं नीरज के दुश्मन नीरज बवाना के दुश्मनों की लिस्ट लंबी है, जिसमें कभी उसके साथी रह चुके लोग भी शामिल हैं. सबसे बड़ा दुश्मन था सुरेंद्र मलिक उर्फ नीतू दाबोड़ा, जो पहले नीरज का करीबी था. लेकिन दुश्मनी बढ़ने पर नीरज ने नीतू गैंग के कई प्रमुख बदमाशों को ठिकाने लगा दिया. इस दुश्मनी में दोनों पक्षों से करीब एक दर्जन लोग मारे गए. नीरज ने अपने दुश्मनों को कमजोर करने के लिए सुपारी किलरों का इस्तेमाल किया. नीतू गैंग के खिलाफ नीरज की रणनीति क्रूर थी. यह दुश्मनी दिल्ली में अपराध दुनिया को हिलाती रही.
24 अक्टूबर 2013 यही वो दिन था, जब दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में नीतू दाबोड़ा स्पेशल सेल के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. इस घटना ने नीरज बवाना को और मजबूत कर दिया. नीतू की मौत के बाद उसके गैंग की कमान पारस उर्फ गोल्डी और प्रदीप उर्फ भोला ने संभाली. लेकिन नीरज ने उन्हें निशाना बना लिया. दुश्मनी के चरम पर पहुंचते हुए दोनों गैंग के बीच खूनी जंग छिड़ गई. नीरज के गुर्गे दुश्मनों को ट्रैक करके मारते थे. उसी दौर में दिल्ली की सड़कें खून से लाल हो गईं थीं.

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