
कनाडा के टोरंटो में क्लीन शेव न करने पर हंगामा, सिख कम्युनिटी के 100 सिक्योरिटी गार्ड्स को नौकरी से निकाला
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कनाडा के टोरंटो में सिख समुदाय के 100 सिक्योरिटी गार्ड को नौकरी से निकाल दिया गया है. दरअसल, लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से एक आदेश जारी हुआ था, इसमें कहा गया था कि नौकरी पर रहने के दौरान सभी कर्मचारियों को मास्क लगाना होगा.
कनाडा के टोरेंटो शहर में एक अजीबोगरीब फैसला लेने से हंगामा मच गया है. दरअसल, यहां सिख समुदाय के 100 सुरक्षा गार्डों को नौकरी से सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने क्लीन शेव नहीं की थी.लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से आदेश जारी किए गए थे कि सभी कर्मचारियों को ड्यूटी पर रहने के दौरान N-95 मास्क पहनना जरूरी होगा. इसके लिए उन्हें क्लीन शेविंग करनी होगी. क्योंकि दाढ़ी की वजह से मास्क ठीक से नहीं पहना जा सकता.
रिपोर्ट्स के मुताबिक लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. वहीं कनाडा में विश्व सिख संगठन (WSO) ने इसका विरोध जताते हुए नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को नौकरी पर रखे जाने की मांग की है.
वहीं लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कहा गया था कि पब्लिक हेल्थ को देखते हुए ये जरूरी है कि सिक्योरिटी गार्ड्स N95 मास्क जरूर पहनें. क्योंकि ये तब बहुत जरूरी हो जाता है, जब सिक्योरिटी गार्ड ऐसी जगहों पर तैनात हैं, जहां कई लोग कोविड-19 के प्रकोप से लड़ रहे हैं.
सिटी प्रशासन ने कहा कि सिक्योरिटी गार्ड को नौकरी से निकाले जाने का मामला सामने आया है, इस बारे में जांच के आदेश दे दिए हैं. हमारी ओर से भी सभी कानून विकल्पों के बारे में अध्ययन किया जा रहा है. अगर किसी ठेकेदार ने शहर की नीति या फिर मानवाधिकार कानून का उल्लंघन किया होगा तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.
WSO ने कहा कि पब्लिक हेल्थ की सेफ्टी की जरूरत तो जनवरी से ही है. सिक्योरिटी गार्ड गार्डावर्ल्ड, एएसपी सिक्योरिटी और स्टार वर्ल्ड जैसे ठेकेदारों के लिए काम करते हैं. संगठन ने सिटी प्रशासन से मुआवजे की मांग की. साथ ही कहा कि 100 गार्डों को तुरंत बहाल किया जाएगा. WSO ने कहा कि सिटी प्रशासन को अपने इस "भेदभावपूर्ण" नियम को बदलना चाहिए.
वहीं पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने भी टोरंटो प्रशासन के इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने ट्वीट किया कि दाढ़ी और मूंछें एक सिख की पहचान हैं, उनकी आस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि ये सिखों की आस्था के खिलाफ है. इससे दुनियाभर में सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंची है.

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