'औरंगजेब मजहबी थे वो मंदिर ढहाकर मस्जिद नहीं बनाएंगे', ज्ञानवापी पर बोले वाराणसी के मुख्य इमाम
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वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में ASI की टीम लगातार सर्वे कर रही है. रविवार को चौथे दिन भी टीम जांच के लिए पहुंची. यहां तीन लगातार तीन दिन से टीम सर्वे में जुटी है. आज दूसरे चरण का सर्वे होना है. ASI टीम आज मशीनों का भी इस्तेमाल करने वाली है. सर्वे में मुस्लिम पक्ष भी शामिल होगा. ज्ञानवापी के मुख्य इमाम ने आजतक से बातचीत की है.
ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने तीन दिन की जांच पूरी कर ली है. शनिवार को लगातार दूसरे दिन ASI की टीम ज्ञानवापी परिसर पहुंची और मस्जिद के केंद्रीय हॉल की जांच की ताकि यह पता लगाया जा सके कि 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया या नहीं. सर्वे के दौरान मुस्लिम पक्ष के पांच सदस्य भी मौजूद रहे. रविवार को तीसरे दिन भी सर्वे टीम ज्ञानवापी परिसर पहुंची है. इस पूरे मसले पर आजतक ने ज्ञानवापी के जनरल सेक्रेटरी और मुख्य इमाम मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने बातचीत की है.
ASI के सर्वे में क्या खास लगा?
- शनिवार को सर्वे का दूसरा दिन था. हम लोगों ने एएसआई का पूरा सहयोग किया है. हमारे कमेटी के जो लोग थे, जिन-जिनका नाम जिला प्रशासन की तरफ से आया था, उनमें कईयों ने जांच में सहयोग किया और शिरकत किया. दिनभर साथ में लगे रहे.
पिछले कोर्ट कमीशन के सर्वे और इस सर्वे में फर्क है?
- कोर्ट की तरफ से एएसआई को हिदायत दी गई है कि किसी भी चीज को टच नहीं करना है. कोई चीज तोड़फोड़ नहीं करनी है. सिर्फ वीडियोग्राफी-फोटोग्राफी और बगैर टच किए हुए साइंटिफिक सर्वे कर रहे हैं. आज मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में सर्वे हुआ था. वहां पर पैमाइश की गई, उन्हें वहां जो भी फोटोग्राफ लेना था... जो भी मापना था वह सब उन्होंने किया. हम लोगों ने पूरा सहयोग किया. जहां तक मुस्लिम पक्ष के विरोध की बात है तो... हमारा विरोध था लेकिन वह सर्वे को लेकर नहीं था. सर्वे के जो तरीके अपनाए गए थे, पहले उसमें हमें ऐतराज था. जब हमारा एतराज पर ध्यान दिया गया और हमारी बात मान ली गई, जब सिस्टम के मुताबिक सब कुछ होने लगा तो हमने साथ दिया. आगे भी साथ देते रहेंगे.
तहखाना के कमरे को लेकर क्या कहेंगे?
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
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