
'एक वक्त था जब नेहरू...', मलेशियाई PM ने उठाया अल्पसंख्यकों का मुद्दा! पीएम मोदी से क्या बोले?
AajTak
मलेशिया के प्रधानमंत्री 19-21 अगस्त तक भारत दौरे पर हैं. अपने इस दौरे में उन्होंने भारत-मलेशिया संबंधों को आगे ले जाने की बात कही है. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत अल्पसंख्यकों के मुद्दों से निपटने के लिए अपनी सही भूमिका अदा करता रहेगा.
भारत दौरे पर आए मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मंगलवार को भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अल्पसंख्यकों या धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले 'कुछ गंभीर मुद्दों' का सामना करना पड़ता है. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अल्पसंख्यकों के मुद्दों से निपटने में अपनी सही भूमिका निभाता रहेगा.
दिल्ली में इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स के एक कार्यक्रम में बोलते हुए मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं इस तथ्य से इनकार नहीं करता कि आपको (भारत सरकार को) अल्पसंख्यकों या धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करने वाले कुछ गंभीर मुद्दों का सामना करना पड़ता है. लेकिन हमें आशा है कि भारत इससे निपटने के लिए अपनी सही भूमिका निभाता रहेगा.'
उन्होंने आगे कहा, 'मैंने इसका जिक्र पीएम मोदी से भी किया है कि एक वक्त था जब नेहरू, झोऊ इनलाई (पूर्व चीनी प्रधानमंत्री), सुकर्णो (इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति) और (जूलियस) न्यरेरे (तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति) मिलकर उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ ग्लोबल साउथ के लिए खड़े रहे, संघर्ष किया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि हम मानवता, आजादी, पुरुषों और महिलाओं के सम्मान की बात को पहचान सकें.'
धीरे-धीरे ट्रैक पर आ रहे मलेशिया-भारत के रिश्ते
इब्राहिम ने यह बयान ऐसे वक्त में दिया है जब भारत और मलेशिया के द्विपक्षीय रिश्ते धीरे-धीरे ट्रैक पर आ रहे हैं. भारत ने जब 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था तब मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने इसकी आलोचना की थी. नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) को लेकर भी महातिर ने भारत को घेरा था. भारत ने इसे लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और मलेशिया को तेल निर्यात रोक दिया था.
भारत-मलेशिया के रिश्ते अब धीरे-धीरे सुधर रहे हैं हालांकि, विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने में बड़ी रुकावट बना हुआ है. नाइक साल 2016 में भारत से भाग गया था और 2018 में मलेशिया ने उसे शरण दे दी थी. नाइक पर भारत में भड़काऊ भाषण देने, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप है. जाकिर नाइक के खिलाफ 2019 में टेरर फंडिंग मामले में ईडी ने चार्जशीट भी दायर की थी.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







