
ईरान की न्यूक्लियर साइट पर हमले के बाद रेडिएशन लीक का कितना खतरा? एक्सपर्ट ने समझाया
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ब्रिटेन के लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में सिविल सेफ्टी और सिक्योरिटी यूनिट को लीड करने वाले साइमन बेनेट ने कहा कि अंडरग्राउंड फैसिलिटी पर हमले से पर्यावरण को होने वाला खतरा न्यूनतम होता है, क्योंकि आप न्यूक्लियर मैटेरियल को हजारों टन कंक्रीट, मिट्टी और चट्टान में दबा रहे होते हैं.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के अहम परमाणु ठिकानों को सैन्य हमलों में तबाह करने का दावा किया है. अमेरिकी हवाई हमले में ईरान की अंडरग्राउंड न्यूक्लियर साइट फोर्डो को भी निशाना बनाया गया है. 13 जून को इजरायल की तरफ से ईरान पर शुरू किए गए हमलों में अब अमेरिका की भी एंट्री हो चुकी है. हालांकि अब भी ट्रंप को उम्मीद है कि ईरान किसी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा और उन्होंने मिडिल ईस्ट में शांति कायम करने की अपील की है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों ने कहा है कि ईरान के यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट पर सैन्य हमलों से रेडिएशन लीक का सीमित जोखिम है और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने रविवार को कहा कि अमेरिकी हमलों के बाद साइट के बाहर रेडिएशन लेवल में वृद्धि की कोई सूचना नहीं मिली है.
तीन परमाणु ठिकानों पर हमला
अमेरिकी सेना ने फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान में स्थित ठिकानों पर हमला किया गया है. ट्रंप ने कहा कि ईरान की प्रमुख न्यूक्लियर एनरिचमेंट फैसिलिटीज को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है. ये हमले नतांज़, इस्फ़हान, अराक और तेहरान में परमाणु ठिकानों पर पहले से घोषित इज़रायली हमलों के बाद हुए हैं.
इजरायल का कहना है कि उसका टारगेट ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना है और अमेरिका का कहना है कि तेहरान को ऐसे हथियार हासिल करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. ईरान ने हमेशा से परमाणु हथियार बनाने की बात से इनकार किया है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी संस्था IAEA ने पहले ही नतांज स्थित यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट, इस्फ़हान स्थित परमाणु कैंपस, जिसमें यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी भी शामिल है, करज और तेहरान में सेंट्रीफ्यूज प्रोडक्शन फैसिलिटी को हुए नुकसान की रिपोर्ट दी है.
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