
इस्लामिक देश में ऐसी ड्रेस पहनकर निकली खूबसूरत फैन, भड़के लोग!
AajTak
इस्लामिक देश कतर में फीफा वर्ल्ड कप 2022 चल रहा है. इस देश में महिलाओं के कपड़े को लेकर काफी सख्त नियम हैं. इसके बावजूद एक महिला फुटबॉल फैन ने इंस्टाग्राम पर कतर का एक फोटो शेयर किया है. इसमें वह स्विमसूट पहने दिखती हैं. सोशल मीडिया पर महिला की फोटो पर लोगों ने गुस्सा भी जाहिर किया है.
कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप चल रहा है. फीफा वर्ल्ड कप में शामिल हो रहे टीमों को सपोर्ट करने के लिए अलग-अलग देश के फैन भी कतर पहुंचे हैं. इनमें से एक महिला फैन को लोग ‘वर्ल्ड कप का सबसे हॉट फैन’ बता रहे हैं. अब इस महिला फैन ने कतर में एक ऐसी हरकत कर दी है कि वहां के लोग गुस्से में हैं. यहां तक कि उन पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.
इस महिला फैन का नाम इवाना नॉल है. वह क्रोएशिया की हैं और इंस्टाग्राम पर बहुत पॉपुलर हैं. सबसे पहले तो वह क्रोएशिया और मोरक्को के बीच हुए वर्ल्ड कप मुकाबले में दिखी थीं. वह लाल और सफेद रंग के चेकबोर्ड ड्रेस में अपनी टीम को सपोर्ट कर रही थीं.
30 साल की इवाना को पहले ही वार्निंग दे दी गई थी कि वह कतर में सिर्फ कंजरवेटिव आउटफिट ही पहने. इवाना ने क्रोएशिया को चियर करते हुए इंस्टाग्राम पर दो पोस्ट शेयर किए. उन्होंने क्रोएशिया और मोरक्को के मैच के पहले स्टेडियम के बाहर से फोटोज शेयर किए थे. खास बात यह भी है कि उन्होंने फोटो शेयर करते हिए फीफा को भी टैग किया था.
इवाना ने मैच के बाद स्टेडियम के अंदर के दो फोटोज शेयर किए. बता दें कि क्रोएशिया और मोरक्को का मैच ड्रा हो गया था. इस पर उन्होंने लिखा- हमलोगों ने आज बेस्ट नहीं खेला. लेकिन ये सिर्फ एक वार्म अप था.
इसके बाद इवाना ने एक और पोस्ट किया है. इसमें वह एक तलाब के पास जी-स्ट्रिंग स्विमिंग सूट में वीडियो शूट करवाती दिखीं. इस पोस्ट को देखकर लोग भड़क गए. एक यूजर ने लिखा- इस देश और हमारे धर्म की इज्जत करो. दूसरे ने लिखा- शर्म करो, दूसरे के कल्चर की इज्जत करो. तीसरे ने लिखा- प्लीज दूसरे देशों के धर्म और कस्टम की इज्जत करो.
लोगों के कमेंट्स को छोड़ भी दें तो कतर में इवाना के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. क्योंकि कतर में बोल्ड ड्रेस पहनने पर बड़ा फाइन वसूलने या फिर जेल की सजा का प्रावधान है. अरब देश में आनेवाली महिलाओं पर टाइट कपड़े पहनने या फिर क्लीवेज दिखने रोक है.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







