इन गर्मियों में उत्तर भारत की हवा सबसे ज़हरीली, दिल्ली एनसीआर रहा हॉटस्पॉट - CSE
AajTak
इस साल गर्मियों में न केवल असामान्य रूप से तपिश बड़ी थी बल्कि देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर भी ज्यादा था. सीएसई की रिपोर्ट में विश्लेषण किया गया है उत्तर भारत में हवा सबसे ज्यादा जहरीली थी जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 71 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था.
सर्दियां आने वाली हैं और उसी के साथ पराली का धुआं इससे पहले दिल्ली एनसीआर को जहरीला करें सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट कह रही है कि इस साल गर्मियों की हवा उत्तर भारत में सबसे जहरीली रही. इस रिपोर्ट के मुताबिक जब उत्तर भारत की हवा सबसे खराब थी, ऐसे में दिल्ली-एनसीआर इसका हॉटस्पॉट बना रहा. सीएसई के डेटा के मुताबिक 1 मार्च से 31 मई के बीच राजस्थान के रेवाड़ी शहर में पीएम 2.5 का स्तर सबसे ज्यादा खराब था जो कि औसत रूप में 134 माइक्रोग्राम प्रति वर्ग मीटर दर्ज किया गया था.
कैसे बढ़ती चली गई गर्मी?
इस साल गर्मियों में न केवल असामान्य रूप से तपिश बड़ी थी बल्कि देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर भी ज्यादा था. सीएसई की रिपोर्ट में विश्लेषण किया गया है उत्तर भारत में हवा सबसे ज्यादा जहरीली थी जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 71 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था जोकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानक से 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से लगभग 14 गुना ज्यादा था. इस रिपोर्ट के मुताबिक पीएम 2.5 का बढ़ता स्तर सिर्फ कुछ बड़े और खास शहरों तक सीमित नहीं है बल्कि अब एक राष्ट्रव्यापी समस्या बन गई है. सीएससी अपने विश्लेषण में कह रहा है कि दिल्ली एनसीआर का पूरा इलाका गर्मियों में प्रदूषण का हॉटस्पॉट था.
मानेसर में पीएम 2.5 की मात्रा उस दौरान 119 जबकि गाजियाबाद में 101 तो दिल्ली में 97 और गुरुग्राम में 94 तो वही नोएडा में 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था. रिपोर्ट कहती है कि एनसीआर के क्षेत्र में पीएम 2.5 का स्तर दक्षिण भारतीय शहरों के 2. 5 के स्तर का लगभग 3 गुना है. सीएससी की रिपोर्ट कहती है इस दौरान देश के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 10 हरियाणा के थे.
दक्षिण भारत में स्थिति ठीक, उत्तर में समस्या
रिपोर्ट के विश्लेषण के मुताबिक गर्मियों के दौरान पूर्वी भारत में पीएम 2.5 का स्तर 69 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था जो कि उत्तर भारत के बाद देश में सबसे ज्यादा था. वहीं पश्चिम भारत में प्रदूषण का स्तर 54 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था जबकि मध्य भारत में 46 ग्राम प्रति घन मीटर था. पूर्वोत्तर भारत में उसी काल में प्रदूषण का स्तर 35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और दक्षिण भारत में 31 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया.
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवनियुक्त केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी से सोमवार को नई दिल्ली में मुलाकात की. भाजपा के तीनों नेताओं ने रविवार को मोदी-3.0 में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी. 2024 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद तीनों वरिष्ठ नेताओं से योगी आदित्यनाथ की यह पहली मुलाकात है.