आतंकियों पर भी हो रहा क्लाइमेट चेंज का असर, एक्सट्रीम मौसम से जूझते ये देश बने टैररिज्म का नया ठिकाना
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मौसम में एक्सट्रीम बदलाव का असर आतंकवाद पर भी हो रहा है. एक स्टडी में पता लगा कि क्लाइमेट चेंज की वजह से जिस तरह बेहद तेज गर्मी या ठंड पड़ने लगी है, उसी के अनुसार टैररिस्ट अपने ठिकाने भी यहां से वहां कर रहे हैं. या उनकी गतिविधियां किसी खास जगह पर कम या ज्यादा हो रही हैं.
जलवायु परिवर्तन अब केवल कंपीटिशन में लिखने या संयुक्त राष्ट्र के मंच पर बोलने का टॉपिक नहीं रहा. इसका असर हर घर पर हो रहा है. यहां तक कि आतंकवाद भी इससे बचा हुआ नहीं. ऑस्ट्रेलिया की रटगर्स यूनिवर्सिटी के एक शोध में माना गया कि मौसम के मिजाज में जिस तरह का बदलाव आ रहा है, वो भारत में आतंकवादी गतिविधियों की जगहों पर भी असर डाल रहा है. मतलब, वो पहले जिस राज्य में एक्टिव रहे हों, एक्सट्रीम मौसम में वे अपना हेडक्वार्टर बदल भी सकते हैं. या फिर उसका उल्टा भी हो सकता है.
ग्लोबल टैररिज्म में ये पैटर्न दिखता है. जैसे दुनिया के वे देश आतंक का नया एपिसेंटर बन चुके हैं, जहां हालात काफी विपरीत हों. एक्सट्रीम मौसम वाले इन देशों में नौकरियां कम हैं, साथ ही खेती-किसानी भी मुश्किल हैं. इसका फायदा आतंकी लेते और युवाओं को बरगलाते हैं.
क्या कहती है स्टडी जर्नल ऑफ एप्लाइड सिक्योरिटी रिसर्च में अध्ययन- मॉनसून मॉरौडर्स एंड समर वायलेंस नाम से प्रकाशित हुआ. इसमें दावा किया गया कि क्लाइमेट से जुड़े फैक्टर, जैसे तापमान, बारिश और ऊंचाई देश में आतंकवादी एक्टिविटीज पर असर डालते हैं. शोधकर्ताओं ने साल 1998 से 2017 के बीच जितनी आतंकी घटनाएं हुईं, उन सबको ट्रैक करते हुए पैटर्न को देखा.
इसमें पाया गया कि अच्छे मौसम वाली जगहों पर आबादी तेजी से बढ़ी. हालांकि आतंकवादी उन जगहों पर पनाह लेते रहे, जहां आबादी कम हो. लेकिन वहां का तापमान एक्सट्रीम होने पर वे दूसरे इलाकों की तरफ रुख कर रहे हैं.
लगभग 20 सालों के दौरान देश के किन-किन इलाकों में कितनी आतंकी गतिविधियां हुईं, इसे देखने पर पता लगता है कि उत्तर और पूर्वी इलाकों में बार-बार टैररिस्ट एक्टिविटीज होती रहीं. टैररिज्म का ये आंकड़ा ग्लोबल टैररिज्म डेटाबेस से लिया गया था. इन दो दशकों में लगभग 9,096 घटनाएं दर्ज हुईं. ये छोटी-बड़ी दोनों तरह की थीं. शोध के अनुसार, इस अवधि के दौरान भारत का औसत तापमान भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया.
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