आंसुओं में डूब जाए हर विधवा यह जरूरी तो नहीं...'पगलैट' है संध्या !
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नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई 'पगलैट' संध्या की कहानी है. शादी के 5 महीने ही हुए हैं कि उसके पति की मृत्यु हो जाती है. लेकिन संध्या की आंखों से आंसू ही नहीं आते. उससे चाय के लिए पूछा जाता है तो उसे पेप्सी की तलब महसूस होती है. वह फेसबुक पर कमेंट गिनती है कि कितने लोगों ने आरआईपी लिखा है. फेसबुक पर 235 कमेंट हैं.
जब कोई अपनी ही धुन में रमा रहे, लोगों को दरकिनार कर खुद फैसले लेने लगे. अपनी चलाने के चक्कर में दूसरों को तवज्जो देना कम कर दे. जिसे समझना और समझाना मुश्किल हो जाए, जमाना उसे 'पगलैट' कहने लगता है. स्वार्थी और पगलैट में अंतर है. स्वार्थी खुद के हित के बारे में सोचता है, दूसरे का अहित हो जाए तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन पगलैट की संवेदना स्वार्थी से बड़ी होती है. वह नफे नुकसान की नहीं मन की सुनता है. जैसे अनुपमा की काव्या स्वार्थी (सेल्फिश) है, लेकिन अनुपमा कुछ हद तक पगलैट. नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई 'पगलैट' संध्या की कहानी है. शादी के 5 महीने ही हुए हैं कि उसके पति की मृत्यु हो जाती है. लेकिन संध्या की आंखों से आंसू ही नहीं आते. उससे चाय के लिए पूछा जाता है तो उसे पेप्सी की तलब महसूस होती है. वह फेसबुक पर कमेंट गिनती है कि कितने लोगों ने आरआईपी लिखा है. फेसबुक पर 235 कमेंट हैं.More Related News
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