
अरुण गोयल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 बड़े सवाल क्या उठाए? जानें- चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया
AajTak
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति पर बवाल बढ़ता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि ऐसी भी क्या जल्दबाजी थी कि उनकी नियुक्ति की फाइल 24 घंटे के भीतर ही क्लियर हो गई.
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. इसे लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने हैं. गुरुवार को केंद्र सरकार ने अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी. इसे देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 'हड़बड़ी' और 'जल्दबाजी' पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी फाइल 'बिजली की गति' से क्लियर की गई. जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, 'अदालत ने 18 नवंबर से इस मामले पर सुनवाई शुरू की और उसी दिन फाइल बढ़ा दी गई और प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को गोयल के नाम की सिफारिश कर दी. इतनी जल्दबाजी क्यों?'
इस पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने जवाब दिया कि कई सारी नियुक्तियां 12 घंटे या 24 घंटे में ही हुईं हैं.
हालांकि, कोर्ट ने ये भी साफ किया कि वो अरुण गोयल की योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि सवाल नियुक्ति प्रक्रिया पर उठ रहे हैं.
अरुण गोयल की नियुक्ति पर क्या-क्या सवाल?
- याचिकाकर्ता अनूप बरांवल के वकील प्रशांत भूषण ने अरुण गोयल की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि अदालत में सुनवाई शुरू होने के बाद सरकार ने जल्दबाजी में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की.
- प्रशांत भूषण ने कहा कि जिन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है, वो एक दिन पहले तक केंद्र सरकार में सचिव स्तर के अधिकारी थे. अचानक से उन्हें वीआरएस दिया जाता है और एक ही दिन में चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया जाता है.

बंगाल में बाबरी-स्टाइल मस्जिद की नींव रखने का कार्यक्रम आज... RAF-BSF तैनात, 3 लाख लोग जुटने का दावा
टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने दावा किया है कि शनिवार को मोरादीघी के पास 25 बीघा क्षेत्र में करीब 3 लाख लोगों की भीड़ जुटेगी. पुलिस, RAF और BSF की तैनाती के बीच प्रशासन ने इलाके को हाई सिक्योरिटी जोन घोषित कर दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.








