
अफगानिस्तान पर क्या फिर आक्रमण करेगा अमेरिका? अब बगराम एयरबेस पर ट्रंप की नजर
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि बगराम बेस चीन के न्यूक्लियर हथियार केंद्रों से बेहद करीब है, इसलिए रणनीतिक रूप से अहम है. ट्रंप ने बाइडेन सरकार पर आरोप लगाया कि उसने बेस छोड़कर बड़ी गलती की और इसे चीन के लिए खुला छोड़ दिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर दोबारा नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने इसकी बड़ी वजह चीन के न्यूक्लियर हथियार केंद्रों की नज़दीकी को बताया. काबुल से करीब 44 किलोमीटर उत्तर में स्थित बगराम, अफगानिस्तान युद्ध के दौरान अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य बेस था.
यहां से अमेरिका और नाटो सैनिकों ने 2021 में वापसी की थी, जब तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने युद्ध खत्म करने का फैसला किया. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि बाइडेन प्रशासन का बगराम छोड़ने का फैसला "पूरी तरह से बड़ी गलती" था. उन्होंने कहा, "हम इसे वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक छोटी-सी ब्रेकिंग न्यूज़ है."
यह भी पढ़ें: फिलिस्तीन, इमीग्रेशन और एनर्जी... ट्रंप ने तीन मुद्दों पर ब्रिटिश पीएम स्टार्मर से जताई नाराजगी, बोले- सहमत नहीं डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा, "हम इसे वापस चाहते हैं क्योंकि अफगान सरकार को हमारी जरूरत है, लेकिन एक बड़ा कारण यह भी है कि यह चीन के उस क्षेत्र से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है, जहां न्यूक्लियर हथियार बनाए जाते हैं."
मौजूदा और पूर्व अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अफगानिस्तान में बगराम एयरबेस पर दोबारा कब्जा करने का मकसद शायद एक बार फिर देश पर फिर से हमला करने जैसा लग सकता है. इसके लिए 10,000 से ज्यादा सैनिकों की जरूरत पड़ेगी और साथ ही अडवांस्ड डिफेंस सिस्टम भी तैनात करनी होगी.
तालिबान के कब्जे में बगराम
अमेरिकी वापसी के बाद से यह बेस अफगानिस्तान के तालिबान-नियंत्रित रक्षा मंत्रालय के अधीन है. ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि चीन इसका इस्तेमाल कर रहा है, हालांकि अफगान अधिकारियों ने इन दावों को खारिज कर दिया है. मार्च में तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि "बिना सबूत वाली बातों पर भावनात्मक बयान देने से बचना चाहिए."

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