अखिलेश का समर्थन कर क्या BJP की बी-टीम होने का नैरेटिव तोड़ रही हैं मायावती?
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उत्तर प्रदेश की सियासत में सपा और बसपा के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने लगी है. 2019 के बाद अखिलेश यादव को फिर मायावती का किसी मुद्दे पर समर्थन मिला है. ऐसे में सवाल उठता है कि मायावती के बदलते तेवर के बीच क्या वाकई सपा के साथ रिश्ते सुधारने की कवायद है या फिर बीजेपी के बी टीम वाले नेरेटिव को तोड़ने की रणनीति?
उत्तर प्रदेश की सियासत 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नई करवट ले रही है. सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की फिर से बीजेपी के साथ नजदीकियां बढ़ रही हैं तो दूसरी तरफ तीन साल के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव को किसी मुद्दे पर बसपा अध्यक्ष मायावती का साथ मिला है. इसके बाद सूबे में कयास लगाए जा रहे हैं कि 2024 में बसपा-सपा क्या फिर साथ आएंगे या मायावती ने बीजेपी के बी-टीम होने के नेरेटिव तोड़ने का दांव चला है?
अखिलेश को मिला मायावती का साथ
विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव की अगुआई में उनके पार्टी के विधायकों ने कानून व्यवस्था, महंगाई जैसे मुद्दों पर पैदल मार्च निकाला था. पुलिस ने बैरिकेडिंग करके उन्हें विधानसभा पहुंचने से पहले रोक दिया था. ऐसे में अखिलेश विधायकों के संग बीच रास्ते में धरने पर बैठक गए थे और वहीं पर डमी सदन चलाया. इस तरह अखिलेश ने मॉनसून सत्र के पहले दिन संदेश दे गए, जो वह देना चाहते थे.
वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट किए. इसमें उन्होंने भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया तो सपा के लिए उनकी तल्खी कम दिखाई दी. मायावती ने अपने ट्वीट में सपा और अखिलेश के नाम का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन विरोध प्रदर्शन को लेकर इजाजत न दिए जाने पर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों, उसकी निरंकुशता और जुल्म आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना बीजेपी सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है. साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक है.
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद शायद पहली बार है जब मायावती ने किसी मुद्दे पर सपा का समर्थन किया है और खुलकर योगी सरकार पर हमलावर नजर आई हैं. मायावती के इस ट्वीट के बाद चर्चा तेज है कि क्या सपा और बसपा के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने लगी है और क्या दोनों फिर से 2024 के चुनाव में साथ आ सकते हैं या फिर बीएसपी की इसके पीछे कोई और ही रणनीति है?
सपा-बसपा क्या फिर साथ आएंगे अखिलेश यादव और मायावती ने 2019 में मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें बसपा को 10 और सपा को 5 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, बीजेपी को मात नहीं दे सके, जिसके चलते चुनाव के बाद मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ लिया था. अखिलेश ने बसपा के कई नेताओं को अपने साथ मिला लिया था, जिसके चलते दोनों दलों के बीच सियासी रिश्ते काफी खराब हो गए थे. ऐसे में तीन साल में पहली बार है जब मायावती ने किसी मुद्दे पर अखिलेश यादव को समर्थन किया है और योगी सरकार पर हमलावर दिखी हैं.
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