
Wrestler's Protest: यौन उत्पीड़न रोकथाम पर कानून तो हैं लेकिन ढंग से लागू नहीं होते... जानिए क्या है वकीलों की राय
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वकील शोभा गुप्ता ने कहा "कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (POSH) 2013 से लागू है. विशाखा जजमेंट 2009 में जारी किया गया था. क्या इन वरिष्ठ एथलीट्स में से किसी को भी इस अधिनियम के बारे में कोई जानकारी नहीं है? अ
कोचों और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख के खिलाफ वरिष्ठ खिलाड़ियों द्वारा गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोपों को देखते हुए ऐसा लगता है कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम (रोकथाम, निषेध और निवारण), 2013 के प्रावधान , या POSH अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है. अधिनियम के तहत, 10 से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यस्थल के प्रत्येक नियोक्ता के लिए ऐसी उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए एक "आंतरिक शिकायत समिति" का गठन करना अनिवार्य है.
ऐसे में इंडिया टुडे ने इस अधिनियम और संभावित खामियों पर वकीलों से बात की.
अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने कहा "कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (POSH) 2013 से लागू है. विशाखा जजमेंट 2009 में जारी किया गया था. क्या इन वरिष्ठ एथलीट्स में से किसी को भी इस अधिनियम के बारे में कोई जानकारी नहीं है? अधिनियम के तहत अनिवार्य आवश्यकताएं हैं कि यदि किसी कार्यस्थल में 10 से अधिक लोग हैं, तो इसमें एक आंतरिक शिकायत समिति होनी चाहिए. और यदि कोई ICC नहीं है, तो हमेशा जिला मजिस्ट्रेट के अधीन स्थानीय समिति होती है. मेरा सवाल है, क्या किसी ने शिकायत करने की कोशिश की?"
अधिवक्ता नंदिता राव के अनुसार, खेल संघों को कानून के तहत "स्टेट एंटिटी" माना जाता है, और इसलिए वे केंद्र सरकार के नियमों को लागू करने के लिए बाध्य हैं. उन्होंने कहा "POSH अधिनियम कहता है कि सरकार से धन प्राप्त करने वाला कोई भी संगठन कार्यस्थल के अंतर्गत आता है. अब BCCI के फैसले के बाद यह माना गया है कि ये संगठन एक सार्वजनिक कर्तव्य निभा रहे हैं क्योंकि वे टीमें बना रहे हैं. मेरे हिसाब से उन सभी के पास SH समितियां होनी चाहिए, लेकिन उनमें से अधिकांश के पास नहीं है.".
डब्ल्यूएफआई के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि महासंघ में एक "नैतिकता समिति" है, और अब एथलीटों की शिकायतों पर विचार करने के लिए एक जांच समिति बनाई जाएगी. वकील हालांकि सवाल करते हैं कि अब तक कानून को लागू क्यों नहीं किया जा रहा था. राव ने कहा कि "संगठन का दावा है कि हमारे पास एक नैतिकता समिति है जो एक यौन उत्पीड़न समिति भी है. लेकिन जब आपने एक समिति बनाने का फैसला किया है, तो कानून कहता है कि अध्यक्ष एक महिला होनी चाहिए, सदस्यों की अधिकतम संख्या महिलाएं होनी चाहिए और एक बाहरी सदस्य होना चाहिए" - यह आपकी ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि एक मजबूत व्यवस्था हो .. इनमें से कुछ भी ठीक नहीं है."
कुश्ती से जुड़े इस विवाद में अपडेट की बात करें तो भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष के खिलाफ धरने पर बैठे खिलाड़ियों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की. मीटिंग खत्म होने के बाद खेल मंत्री और खिलाड़ियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. खेल मंत्री ने कहा कि हमने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि एक निगरानी कमेटी का गठन किया जाएगा. इसमें शामिल लोगों के नामों की घोषणा कल की जाएगी. ये कमेटी 4 सप्ताह में अपनी जांच पूरी करेगी और डब्ल्यूएफआई और उसके प्रमुख के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों की गहन जांच करेगी.

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