UP निकाय चुनाव में कांग्रेस 'निल बटे सन्नाटा...', खाबरी भुगतेंगे खामियाजा?
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उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस को करारी मात खानी पड़ी है, जिसका खमियाजा प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को उठाना पड़ सकता है. 2022 विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने बड़ी उम्मीदों के साथ खाबरी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी, लेकिन उस पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों पर नगर निकाय चुनाव ने पानी फेर दिया है. कांग्रेस शहरों में निल बटे सन्नाटा रही है. मेयर सीट पर पार्टी का खाता भी नहीं खुला है जबकि नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष में पार्टी को करारी मात खानी पड़ी है. निकाय चुनाव नतीजे के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी की कुर्सी पर संकट गहरा गया है. माना जा रहा है कि 2024 चुनाव को देखते हुए पार्टी की कमान खाबरी के हाथों से लेकर पूर्वांचल के एक बड़े नेता को दी जा सकती है?
बृजलाल खाबरी पर लटकी तलवार
यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव के बाद अजय कुमार लल्लू की जगह बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन वो भी पूरी तरह से फ्लाप रहे. खाबरी को पद संभाले हुए एक साल होने जा रहा है, लेकिन न ही वे उपचुनाव में कैंडिडेट उतार सके और न ही निकाय चुनाव में असर दिखाया. इतना ही नहीं निकाय चुनाव में जिस तरह से उनकी कार्यप्राणली थी, उसे लेकर भी पार्टी के अंदर सवाल उठने लगे हैं. कांग्रेस हाईकमान के संज्ञान में भी यह मामला है.
यूपी निकाय चुनाव नतीजे के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की टीम की तरफ से बृजलाल खाबरी को फटकार मिली है और अब उनकी कुर्सी पर तलवार लटक रही है. निकाय चुनाव के दौरान पार्टी में अंतरकलह सामने आई थी, जिसका चुनावी असर नतीजों पर दिखा है. इस चुनाव में कांग्रेस नगर निगमों में 77 पार्षद, चार नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष और 91 सभासद जबकि 14 नगर पंचायत अध्यक्ष, 77 वार्ड सदस्य के पदों पर ही चुनाव जीत सकी है. कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए बृजलाल खाबरी को ही जिम्मेदार माना जा रहा है.
मुरादाबाद प्रचार में नहीं पहुंचे खाबरी
यूपी की 17 नगर निगम की मेयर सीटों में से मुरादाबाद सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रिजवान कुरैशी की सबसे ज्यादा जीतने की उम्मीद थी. कांग्रेस अगर मेहनत करती तो एक मेयर बन सकता था, लेकिन पार्टी ने पहले टिकट देने में देरी की और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी प्रचार करने ही नहीं पहुंचे. वहीं, कानपुर नगर निगम सीट पर हार का ठीकरा बृजलाल खाबरी के ऊपर फूटा है. नगर निगम की एक दर्जन पार्षद सीटों पर टिकट ऐसे नेताओं के दे दिए गए थे, जो कमजोर थे या फिर दूसरे दलों से आए थे. ये वह सीटें थी, जहां कांग्रेस जीतती रही है.
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