Sita Navami 2022: सीता मां के जन्म से जुड़े ये रहस्य जानकर रह जाएंगे हैरान
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हम में से ज्यादातर लोग रामायण के केवल उस संस्करण के बारे में जानते हैं जिसमें बहन सूर्पनाखा की नाक कटने के बाद बदले की आग में झुलस रहा रावण देवी सीता का अपहरण कर लेता है. लेकिन भारतीय पौराणिक कथाएं रहस्यों की एक अनोखी दुनिया है. मूल ग्रंथों, शास्त्रों के अलावा, ऐसी लोक कथाएं और मौखिक परंपराएं हैं जो इन महाकाव्यों को ज्यादा आकर्षक बनाती हैं.
Sita Navami 2022: वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम की पत्नी देवी सीता धरती पर अवतरित हुई थीं. हम में से ज्यादातर लोग रामायण के केवल उस संस्करण के बारे में जानते हैं जिसमें बहन सूर्पनाखा की नाक कटने के बाद बदले की आग में झुलस रहा रावण देवी सीता का अपहरण कर लेता है. लेकिन भारतीय पौराणिक कथाएं रहस्यों की एक अनोखी दुनिया है. मूल ग्रंथों, शास्त्रों के अलावा, ऐसी लोक कथाएं और मौखिक परंपराएं हैं जो इन महाकाव्यों को ज्यादा आकर्षक बनाती हैं. इनमें से कई कथाएं आपको हैरान कर सकती हैं.
रामायाण की पूरी कहानी सीता के अपहरण और भगवान राम और रावण के बीच युद्ध के ईर्द-गिर्द घूमती है. बहन सूर्पनखा की नाक कटने के बाद रावण ने बदले की भावना से सीता का अपहरण किया था. हालांकि कई लोक कथाओं और प्राचीन ग्रंथों में माता सीता को रावण की पुत्री बताया गया है.
ऐसा कहा जाता है कि माता सीता का जन्म धरती से हुआ था. राजा जनक को खेत जोतने के दौरान सीता एक कलश में मिली थीं. राजा जनक सीता को घर ले आए और उनकी परवरिश की. उत्तर-पश्चिम में रामायण के एक संस्करण के मुताबिक, सीता को मेनका की दिव्य संतान कहा जाता है जिसे राजा जनक ने गोद लिया था. कुछ ग्रंथों में सीता को जनक की असली पुत्री बताया गया है.
वेदवती का अवतार सीता- रामायण के कुछ संस्करणों में माता सीता को वेदवती का अवतार बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब वेदवती भगवान विष्णु की उपासना कर रही थी तो रावण उसकी सुंदरता से सम्मोहित हो उठा. रावण ने वेदवती और उसकी भक्ति को बाधित करने का प्रयास किया. इससे तंग आकर वेदवती ने खुद को चिता में झोंक लिया और अंतिम समय में रावण से कहा कि अगले जन्म में वही रावण के अंत की वजह बनेगी. रामायण के इस संस्करण के मुताबिक, सीता ही वेदवती का अवतार थी.
जैन रामायण का संस्करण- जैन रामायण का एक संस्करण सीता को रावण की असली बेटी बताता है. इस संस्करण के अनुसार, मंदोदरी को जब सीता के रूप में संतान प्राप्त हुई तो रावण बहुत खुश हुआ. लेकिन जैसी ही ये भविष्यवाणी हुई कि सीता ही रावण के विनाश की वजह बनेगी, उसने तुरंत सीता को कहीं दूर छोड़ने का आदेश दे दिया. हालांकि रावण ने हमेशा सीता के ठिकाने पर नजर बनाए रखी.
जब रावण को पता चला कि सीता किसी जनक राजा को खेत में मिल गई है तो वह बहुत प्रसन्न हुआ कि उसकी बेटी आज भी एक रानी की जिंदगी बिता रही है. जैन रामायण के अनुसार, रावण अपनी अपनी बेटी सीता के स्वयंवर में भी शामिल हुआ था. रावण यह जानकर काफी खुश था कि उसका विवाह अयोध्या के राजा राम से हो रही है. 14 साल के वनवास से पहले तक सब ठीक ही चल रहा था.
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