
Pushpa 2 Review: अल्लू अर्जुन की 'फायर' परफॉरमेंस, राइटिंग ने कमजोर किए विलेन, सेकंड हाफ लड़खड़ाया
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मास फिल्में स्क्रीन पर इंसान की सोच से भी बड़ा हीरो और ठसकबाजी डिलीवर करती हैं. और इन फिल्मों को जज करने के लिए सबसे बेसिक स्केल यही है. 'पुष्पा 2' के ट्रेलर में ये वादा किया गया था कि ये सॉलिड मास एंटरटेनमेंट डिलीवर करेगी. सवाल ये है कि क्या ये वादा पूरा हुआ?
'पुष्पा 2: द रूल' के एक सीन में अल्लू अर्जुन एक पॉलिटिशियन को कहते हैं कि वो सीएम क्यों नहीं बन जाता? जवाब मिलता है कि ये आसान काम नहीं है, बहुत पैसे लगते हैं. अर्जुन पूछते हैं- 'कितने पैसे लगेंगे?' पॉलिटिशियन दिमाग में गणित लगाने के बाद कहता है- '100 करोड़'.
अब स्क्रीन पर अल्लू अर्जुन चुप हैं. इसी चुप्पी के बीच थिएटर में एक आदमी, अर्जुन के अगले डायलॉग का अंदाजा लगाते हुए चिल्लाया, 'जा 200 करोड़ दिए'. थिएटर्स में ठहाके उठने शुरू ही हुए थे कि दूसरा चिल्लाया, '1000 करोड़'. तभी एक आवाज आई नहीं बे '500 करोड़ ठीक है'! स्क्रीन पर अल्लू अर्जुन की चुप्पी टूटती है और डायलॉग आता है 'जा 500 करोड़ दिए.' जिस आदमी ने ये सटीक अंदाजा लगा लिया था, वो खड़ा होकर सीटी बजाने लगता है.
ये मास सिनेमा का उल्लास है, जहां जनता अपने हीरो को सिर्फ जीतते देखना चाहती है और उसकी जीत में अपनी जीत महसूस करती है. बेस्ट पिक्चर क्वालिटी और शानदार साउंड की परवाह किए बिना, किसी फिल्म का सबसे सस्ता टिकट खोजकर अपने फेवरेट स्टार की फिल्म देखने थिएटर पहुंचा एक दर्शक स्क्रीन पर वो ठसक देखने जाता है जो 100 करोड़ के बदले 500 करोड़ देने वाले पुष्पराज में दिखती है.
मास फिल्में स्क्रीन पर ऐसा हीरो और ऐसी ठसक डिलीवर करती हैं. और इन फिल्मों को जज करने के लिए सबसे बेसिक स्केल यही है. 'पुष्पा 2' के ट्रेलर में ये वादा किया गया था कि ये सॉलिड मास एंटरटेनमेंट डिलीवर करेगी. सवाल ये है कि क्या ये वादा पूरा हुआ?
पुष्पराज की सरकार 'पुष्पा 2' का प्लॉट ये है कि पहली फिल्म के अंत में, लाल चंदन की स्मगलिंग करने वाले सिंडिकेट का सर्वेसर्वा अब पुष्पराज (अल्लू अर्जुन) बन चुका है. फिल्म की शुरुआत पुष्पराज के इंटरनेशनल सपने से होती है. ताबड़तोड़ फाइट करने हीरो की एंट्री से फिल्म शुरू होती है, मगर कुछ मिनटों में ही वापस पुष्पराज के घर पर लौट आती है. और फिर इंटरनेशनल सपने की वजह खुलनी शुरू होती है.
यहां कहानी पुष्पराज और उसकी वाइफ श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) के रिश्ते पर लौट आती है. गाने-वाने मिलाकर कहानी इस कपल की केमिस्ट्री पर फोकस करने लगती है. श्रीवल्ली की एक डिमांड, पुष्पराज के एक पॉलिटिशियन से उलझने की वजह बनती है. इस हीरो के जैसे तेवर हैं, उससे आपको पता है कि अगला कदम क्या होने वाला है. वो 100-500 करोड़ वाला सीन यहीं पर आता है. पुष्पराज कमिटमेंट कर चुका है और ये सब जानते हैं कि अब वो झुकेगा नहीं.













