Punjab: सिद्धू ने रखीं ये तीन शर्तें, मानने के मूड में नहीं आलाकमान, चन्नी भी टाल गए सवाल
AajTak
पंजाब कांग्रेस में जारी लड़ाई अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. नवजोत सिंह सिद्धू इस्तीफा वापस लेने के लिए कुछ शर्तों की बात कर रहे हैं, तो कांग्रेस आलाकमान भी सख्त रुख अपनाने के मूड में दिख रहा है.
Punjab Congress Fight: कांग्रेस के लिए पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुई परेशानियां खत्म नहीं हो रही हैं. नवजोत सिंह सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर नए मुख्यमंत्री के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो कांग्रेस आलाकमान भी अब चरणजीत सिंह चन्नी के साथ खड़ा हुआ दिख रहा है. तो दूसरी ओर खुद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि सिद्धू से बात की जाएगी लेकिन वो आरोपों से बचते दिखे. सिद्धू ने क्या रखी हैं शर्तें? नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं. बुधवार को एक वीडियो संदेश में भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई सरकार में दागियों को जगह दी गई है, फिर चाहे वो मंत्री हो या फिर एडवोकेट जनरल हो. अब सूत्रों की मानें, तो सिद्धू कैंप की ओर से साफ किया गया है कि वह इस्तीफा तभी वापस लेंगे जब उनकी बातों को माना जाएगा. इनमें राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट से हटाना, डीजीपी को बदलना और एडवोकेट जनरल एपीएस देओल को हटाना शामिल है. नवजोत सिंह सिद्धू ने साफ किया है कि वह अपने एजेंडे से पीछे नहीं हटेंगे.
जर्मनी से 35 दिन बाद वापस लौटने पर जेडीएस के निष्कासित सांसद रेवन्ना को बेंगलुरु एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया था. कर्नाटक पुलिस की एसआईटी ने कोर्ट से रेवन्ना की 14 दिनों की कस्टडी की मांग की थी. दोनों पक्षों की तरफ से अपनी-अपनी दलीलें दी गईं. लंबी-चौड़ी दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने रेवन्ना को 6 जून तक SIT हिरासत में भेज दिया है.
असम में चक्रवात रेमल के बाद लगातार बारिश के कारण 9 जिलों में बाढ़ की स्थिति से दो लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. 28 मई से राज्य में बाढ़, बारिश और तूफान में कुल मिलाकर छह लोगों की मौत हो गई है. वहीं मणिपुर का राजभवन भी बाढ़ के पानी से लबालब हो चुका है. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि चक्रवात रेमल के बाद पिछले कुछ दिनों में हुई मूसलाधार बारिश के कारण मणिपुर के राजभवन में जलभराव हो गया है.
बार और रेस्टोरेंट्स की ओर से पेश वकील वीना थडानी ने तत्काल सुनवाई के लिए याचिकाओं का उल्लेख किया और कहा कि पुणे में हुई घटना के बाद से कुछ दस्तावेज प्रस्तुत न करने जैसे मामूली मुद्दों पर बार और रेस्टोरेंट्स के लाइसेंस निलंबित किए जा रहे हैं. थडानी ने कहा कि इन प्रतिष्ठानों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हाल ही में एक बयान दिया है कि उन्होंने धर्म के आधार पर आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कहीं भी संविधान विरुद्ध कोई कार्य हो रहा है, तो उसकी समीक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा कि ओबीसी के आरक्षण का लाभ ले रहे मुस्लिमों की समीक्षा करेंगे. यह बयान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से आरक्षण प्रणाली के बारे में एक महत्वपूर्ण बयान है.