
PM मोदी ने वीर सावरकर की जयंती पर दी श्रद्धांजलि, कहा- विदेशी हुकूमत की यातनाएं भी नहीं डिगा पाईं उनका समर्पण
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वीर सावरकर की जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अपर्ति की है. पीएम मोदी ने उन्हें भारत माता का सच्चा सपूत बताते हुए कहा, 'विदेशी हुकूमत की कठोर से कठोर यातनाएं भी मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण भाव को डिगा नहीं पाईं. आजादी के आंदोलन में उनके अदम्य साहस और संघर्ष की गाथा को कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं सकता.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वातंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अपर्ति की है. पीएम मोदी ने वीर सावरकर को भारत माता का सच्चा सपूत बताते हुए उनके अदम्य साहस, मातृभूमि के प्रति समर्पण और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने वीर सावरकार के श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, 'भारत माता के सच्चे सपूत वीर सावरकर को उनकी जन्म-जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि. विदेशी हुकूमत की कठोर से कठोर यातनाएं भी मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण भाव को डिगा नहीं पाईं. आजादी के आंदोलन में उनके अदम्य साहस और संघर्ष की गाथा को कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं सकता. देश के लिए उनका त्याग और समर्पण विकसित भारत के निर्माण में भी पथ-प्रदर्शक बना रहेगा.'
पीएम मोदी ने अपने संदेश में इस बात पर जोर दिया कि सावरकर के विचार और बलिदान आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. उन्होंने कहा कि सावरकर का समर्पण और त्याग 'विकसित भारत' के सपने को साकार करने में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा. पीएम मोदी का यह संदेश एक बार फिर राष्ट्र के प्रति सावरकर के अमूल्य योगदान को रेखांकित करता है और युवा पीढ़ी को उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करता है.
कौन हैं वीर सावरकर
वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन में ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सावरकर न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक विचारक, लेखक और समाज सुधारक भी थे. उन्हें काला पानी की सजा के दौरान अंडमान की सेलुलर जेल में अमानवीय यातनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. हिंदुत्व के विचार को मजबूती देने में भी उनकी अहम भूमिका रही है.

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