
Himalaya की बर्फीली झीलों को लेकर ISRO का बड़ा खुलासा... सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र के ऊपर मुसीबत
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हिमालय पर 2431 ग्लेशियल लेक्स हैं. जिनमें से 676 झीलों का आकार लगातार बढ़ा है. इनमें से 130 भारतीय इलाके में हैं. इन झीलों के टूटने का खतरा लगातार बरकरार है. ISRO की नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से इन ग्लेशियल झीलों पर खतरा मंडरा रहा है.
हिमालय के पहाड़ों को दुनिया तीसरा ध्रुव (Third Pole) कहा जाता है. वजह है भारी संख्या और मात्रा में ग्लेशियरों की मौजूदगी. और ढेर सारी बर्फ. लेकिन यह इलाका ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहा है. बर्फ पिघल रही है. ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं. इसका असर सामाजिक तौर पर भी पड़ता है.
ग्लेशियरों के सिकुड़ने का मतलब है बर्फ का तेजी से पिघलना. यानी पहाड़ों पर जहां भी यहां से बहने वाला पानी जमा होता है, वहां पर ग्लेशियल लेक्स (Glacial Lakes) बन जाती हैं. पानी जुड़ने से हिमालय में पुरानी ग्लेशियल लेक्स का आकार भी बढ़ जाता है. ये ग्लेशियर और बर्फ भारत की नदियों का स्रोत हैं. लेकिन ये बर्फीली झीलें खतरनाक साबित हो सकती हैं.
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इन ग्लेशियल लेक्स से ग्लेशियल लेक्स आउटबर्स्ट फ्लड्स (GLOFS) का खतरा रहता है. जैसे केदारनाथ, चमोली और सिक्किम में हादसे हुए. इससे निचले इलाकों में रहने वालों पर फ्लैश फ्लड और भूस्खलन का खतरा रहता है. ग्लेशियल लेक्स तब फूटती है, जब इनमें कोई भारी चीज गिर जाए या फिर पानी की मात्रा बढ़ने पर इनकी दीवार टूट जाए.
इसरो नजर रखता है हिमालय के ग्लेशियल लेक्स पर

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