
Ground Report: धन्य हैं बिहार के सरकारी स्कूल... कहीं बिल्डिंग नहीं तो कहीं बाउंड्री, पानी के नल तक गायब!
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बिहार के कुछ सरकारी स्कूलों के हालात ऐसे हैं कि बच्चों को पीने के लिए पानी भी नल के जरिए नहीं मिल रहा है. कई स्कूलों में बाउंड्री वॉल तक नहीं है और अवारा पशु स्कूल में घूमते रहते हैं.
बिहार सरकार की ओर से अक्सर दावे किए जाते हैं कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत बेहतर हुई है, लेकिन सच्चाई कुछ और है. अगर जमीनी हालात देखें तो आज भी ऐसे कई स्कूल हैं, जो बिना बिल्डिंग या भवन के ही चल रहे हैं. बच्चे चाहे गर्मी हो या फिर सर्दी खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं. इतना ही नहीं, बिहार में आज भी ऐसे कई स्कूल है जहां पर पानी की समस्या है, पीने के पानी की जहां पर व्यवस्था है तो वहां पर टोटी गायब है, स्कूल की अपनी चार दिवारी तक नहीं है.
शायद इन्हीं वजहों से अब बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को पत्र लिखकर ऐसे स्कूल के सूची मांगी है जहां पर ना बाउंड्री है ना पीने से पानी की व्यवस्था. ऐसे ही कुछ सरकारी स्कूलों की पड़ताल करने के लिए आज तक की टीम ने बिहार के दो जिले लखीसराय और जमुई का दौरा किया. जब हकीकत वाकई हैरान करने वाली थी...
केस स्टडी-1
सबसे पहले आज तक की टीम जमुई जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत गोसाईदीह गांव पहुंची. इस गांव में पहुंचे तो हमें पता चला कि यहां पर पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय लेकिन हमारे होश तब उड़ गए जब हमने पाया कि स्कूल में पढ़ने वाले तकरीबन 50 बच्चों के लिए सरकारी स्कूल का अपना भवन तक नहीं है.
स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि तकरीबन पिछले 12 सालों से यानी 2013 से ही यह स्कूल बिना भवन के ही कार्यरत है. शिक्षकों ने बताया कि गर्मी के मौसम में पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाई करते हैं. शिक्षकों ने बताया कि अब जब सर्दियों का मौसम आया है तो गांव में ही मुखिया जी के द्वारा बनाए गए यात्री शेड को ही तब्दील कर दिया गया है.
ग्रामीणों ने बताया क्योंकि यह यात्री शेड चारों तरफ से खुला हुआ था तो गांव के लोगों ने ही पैसा इकट्ठा करके इसको चार दिवारी से घेर दिया ताकि इसे क्लासरूम की शक्ल दी जा सके और बच्चे कम से कम एक बंद कमरे में पढ़ाई कर सके.

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