
Gangotri Glacier Melting: हमेशा ऐसे ही नहीं बहती रहेगी गंगा! तेजी से पिघल रहा गंगोत्री ग्लेशियर... स्टडी
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2500 KM लंबी गंगा. अपने पानी से 40 करोड़ लोगों को जिंदा रख रही है. क्योंकि इस पवित्र नदी को गंगोत्री ग्लेशियर से पानी मिल रहा है. लेकिन ग्लेशियर ही खतरे में है. 87 सालों में 30 KM लंबे ग्लेशियर में से पौने दो किलोमीटर हिस्सा पिघल कर बह चुका है. दोबारा नहीं बनेगा. वजह आप और हम हैं.
भारत की सीमाओं में आने वाले हिमालय में 9575 ग्लेशियर हैं. इनमें से 968 ग्लेशियर उत्तराखंड (Uttarakhand) में हैं. ज्यादातर का पानी किसी न किसी तरीके से हम इंसानों की प्यास बुझा रहा है. गंगा, घाघरा, मंदाकिनी, सरस्वती जैसी नदिया भारत के मैदानी हिस्सों को जीवन दे रही हैं. सींच रही हैं. सांसें भर रही हैं. क्या होगा अगर इन नदियों के स्रोत खत्म हो जाएं. ग्लेशियर ही तो हैं. जमी हुई बर्फ. गर्मी बढ़ती जा रही है पिघल जाएंगे सब. जैसे पिछले 87 साल में गंगोत्री ग्लेशियर 1700 मीटर (1.70 KM) पिघल गया है.
देश की सबसे पवित्र माने जाने वाली नदी गंगा (Ganga) इसी ग्लेशियर के गौमुख (Gaumukh) से निकलती है. यहीं से गंगा को जीवन मिलता है. देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी (Wadia Insititute of Himalayan Geology) के साइंटिस्ट डॉ. राकेश भाम्बरी ने स्टडी की है. उनकी स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि 1935 से लेकर 2022 तक गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने वाला हिस्सा 1700 मीटर यानी पौने दो किलोमीटर पिघल चुका है. इसकी वजह बढ़ता तापमान, कम बर्फबारी और ज्यादा बारिश है.
बढ़ते तापमान की वजह तो हम और आप हैं. बर्फबारी का कम होना भी जलवायु परिवर्तन का नतीजा है. डॉ. राकेश ने aajtak.in से कहा कि मौसम कैसे बदल रहा है. ये आप अभी देख सकते हैं. मॉनसून को चले जाना चाहिए था. लेकिन अब भी तीन दिन से देहरादून में बारिश हो रही है. यही हालत कई स्थानों पर होगी. मौसम लगातार बदल रहा है. यह बता पाना मुश्किल है कि हिमालय के इलाकों में इस मौसम का कहां क्या और कितना असर पड़ेगा.
गंगोत्री ग्लेशियर काफी ज्यादा अनस्टेबल है
डॉ. राकेश ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर (Gangotri Glacier) 30 किलोमीटर लंबा है. पिछले 87 सालों में यह 1700 मीटर पिघला है. यह पिघलाव तेज हैं. लेकिन कोई ये पूछे कि कब तक पिघल जाएगा. यह बता पाना मुश्किल है. क्योंकि किसी भी ग्लेशियर के पिघलने के पीछे कई वजहें हो सकती है. जैसे- जलवायु परिवर्तन, कम बर्फबारी, बढ़ता तापमान, लगातार बारिश आदि. गंगोत्री ग्लेशियर काफी ज्यादा अनस्टेबल है. कम से कम इसके मुहाने का हिस्सा तो है ही. ग्लेशियर किसी न किसी छोर से तो पिघलेगा ही. यह ग्लेशियर मुहाने से पिघल रहा है.
दो दर्जन ग्लेशियरों पर ही नजर रख पा रहे हैं

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