Eid 2022: पैगंबर मोहम्मद की पत्नी खदीजा जो बनीं पहली मुस्लिम महिला
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इस्लाम धर्म के सबसे निर्णायक पलों में पैंगबर मोहम्मद की पत्नी खदीजा और उनकी बेटी का अहम योगदान रहा है. खदीजा को तो इस्लाम की पहली फेमिनिस्ट जो अपने समय के रूढ़िवादी समाज से काफी आगे थीं. मोहम्मद के पैगंबर मोहम्मद बनने तक के सफर में भी खदीजा की अहम भूमिका रही है.
हर धर्म को सशक्त बनाने में महिलाओं की भूमिका अहम होती है. इस्लाम धर्म के सबसे निर्णायक पलों में ये किरदार पैंगबर मोहम्मद साहब की पत्नी खदीजा ने निभाया. खदीजा का पहली मुस्लिम महिला बनना हो या पैंगबर की मौत के बाद उनकी बेटी फातिमा का उनके अनुयायियों के बीच विवाद शांत कराना, ऐसे कई मौके आए जब इन महिलाओं ने अपने दम पर नई कहानी लिखी. पैंगंबर मोहम्मद की पत्नी खदीजा को तो इस्लाम की पहली फेमिनिस्ट यानी नारीवादी भी कहा जाता है. वह रूढ़िवादी समाज से काफी आगे थीं.
कौन थी खदीजा- खदीजा का जन्म छठी शताब्दी के मध्य में मक्का में हुआ था. खदीजा मक्का के कुरायश कबीले के एक समृद्ध व्यापारी के घर पैदा हुई थीं. पिता की मौत के बाद खदीजा ने सारा कारोबार खुद संभाल लिया और मक्का से सीरिया-यमन तक बेहद सफलतापूर्वक व्यापार किया. खदीजा अपने काफिले के लिए जांच-परख कर ही लोगों की भर्ती करती थीं. कामयाब और अमीर होने के साथ-साथ खदीजा के अच्छे स्वभाव की वजह से उन्हें शादी के कई प्रस्ताव आए. कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद से शादी से पहले खदीजा ने दो बार शादी की लेकिन उनके दोनों पतियों की मौत हो गई.
खदीजा और मोहम्मद का निकाह- खदीजा ने इसी दौरान पैगंबर मोहम्मद के बारे में सुना जो उनके चाचा के साथ व्यापार मार्गों पर कारवां की सुरक्षा करते थे. खदीजा ने मोहम्मद की ईमानदारी को देखकर उन्हें अपने कारवां में शामिल कर लिया. खदीजा को मोहम्मद की सोहबत अच्छी लगी और उन्होंने अपनी एक दोस्त के जरिए खुद ही निकाह का प्रस्ताव भेजा. खदीजा उम्र में पैगंबर मोहम्मद से 15 साल बड़ी थीं. शादी के वक्त खदीजा की उम्र 40 साल थी और मोहम्मद की उम्र 25 लेकिन उम्र का ये फासला उनके प्रेम में कभी आड़े नहीं आया. उस जमाने में कई पत्नियां रखने का चलन था लेकिन पैगंबर मोहम्मद ने उनकी मौत के 25 साल बाद ही दूसरी शादी की.
मोहम्मद को पैगंबर बनाने में खदीजा की अहम भूमिका- मोहम्मद के पैगंबर मोहम्मद बनने तक के सफर में खदीजा की अहम भूमिका रही. कहा जाता है कि जब मोहम्मद के सामने पहली बार फरिश्ते जिब्राइल आए और उन्हें कुरान की शिक्षा दी तो उन पर किसी ने यकीन नहीं किया. मोहम्मद काफी घबराए हुए थे लेकिन खदीजा सबसे मुश्किल वक्त में अपने पति के साथ खड़ी रहीं. खदीजा पहली ऐसी शख्स थीं जिसने मोहम्मद को आखिरी पैगंबर के तौर पर स्वीकार किया और अल्लाह के संदेश को माना.
खदीजा ने पैगंबर मोहम्मद को कारोबार से अलग पूरी तरह इस्लाम के लिए समर्पित होने के लिए भी प्रोत्साहित किया. उन्होंने इस्लाम के उदय के लिए आर्थिक मदद भी की. इस्लाम जब अपने शुरुआती दिनों में मुश्किल में था तो खदीजा की दरियादिली से लोगों का भरोसा जीतने में काफी मदद मिली.
खदीजा का इंतकाल- 619 ईस्वी में खदीजा बीमार पड़ीं और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. खदीजा ने जिस राह को चुना, उससे दुनिया का इतिहास ही बदल गया. पैगंबर मोहम्मद ने एक बार कहा था, मानव के इतिहास में चार सबसे महान महिलाएं थीं- खदीजा बिंत ख्वायलिद, फातिमा बिंत मोहम्मद (बेटी). मैरी बिंत इमरान (वर्जिन मैरी) और आशिया बिंत मुजाहिम. खदीजा आज भी पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल हैं कि साहसी और इरादों की पक्की महिला बड़ी से बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर सकती है.
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