Dollar Vs Rupee: डॉलर ने सिर्फ रुपये को ही नहीं पछाड़ा, पीछे रह गए Euro, Pound, Yen भी
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बीते कुछ समय में डॉलर को ये मजबूती निवेशकों के ज्यादा जोखिम लेने की आदत की वजह से मिली है. भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 2020 और 2021 के दौरान शेयर मार्केट ने जबरदस्त रिटर्न दिया है. ब्याज दरों के निचले स्तर पर रहने और डॉलर की पर्याप्त सप्लाई ने विदेशी निवेशकों के बीच जोखिम उठाने की धारणा को मजबूत किया.
भारतीय रुपया (Indian Currency) इन दिनों संभवतया अपने सबसे बुरे दौर को देख रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया ऐतिहासिक रूप से सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन अगर 2022 की शुरुआत से अब तक के हालात को देखें तो डॉलर न सिर्फ रुपये को ही नहीं रुलाया है, बल्कि यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को भी पछाड़ दिया है. इसमें यूरो से लेकर ब्रिटिश पौंड और जापानी येन भी शामिल है...
करीब 80 रुपये का हुआ एक डॉलर दिसंबर 2021 में एक डॉलर 74.50 रुपये के बराबर था. अब 15 जुलाई के आंकड़ों को देखें तो ये 79.74 रुपये का हो गया है. इस तरह डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले साढ़े छह महीने में तेजी से गिरा है और इसका मूल्य 7% तक नीचे आ गया है. रुपये का ये अब तक का सबसे निचला स्तर है.
Euro, Pound, Yen का भी बुरा हाल सरकारी सूत्रों ने कहा कि अगर आप सोच रहे हैं कि डॉलर की ये मजबूती सिर्फ रुपये के आगे चल रही है. तो साल 2022 की शुरुआत से अब तक दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले डॉलर तेजी से मजबूत हुआ है. यूरोपीय देशों की मुद्रा Euro, ब्रिटेन की पौंड, जापान की येन, स्विट्जरलैंड की फ्रैंक, कनाडा के डॉलर और स्वीडन की क्रोना के मुकाबले डॉलर इस साल अब तक 13% तक मजबूती हासिल कर चुका है. ऐसे में रुपये की इस कमजोरी को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता है.
क्यों मजबूत हो रहा डॉलर? बीते कुछ समय में डॉलर को ये मजबूती निवेशकों के ज्यादा जोखिम लेने की आदत की वजह से मिली है. भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 2020 और 2021 के दौरान शेयर मार्केट ने जबरदस्त रिटर्न दिया है. ब्याज दरों के निचले स्तर पर रहने और डॉलर की पर्याप्त सप्लाई ने विदेशी निवेशकों के बीच जोखिम उठाने की धारणा को मजबूत किया.
इसके उलट 2021 की दूसरी छमाही से विकसित देशों में महंगाई बढ़ रही है. अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने भी महंगाई को कंट्रोल करने के प्रयास किए हैं और ब्याज दरें बढ़ाई हैं. वहीं फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के चलते तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो गई और वैश्विक स्तर पर अनिश्चिता दिखने लगी. ऐसे में निवेशक सचेत हो गए और उन्होंने भारत जैसे देशों से निवेश निकालना शुरू कर दिया. वहीं तेल महंगा होने से हमारा इंपोर्ट बिल बढ़ने लगा जिससे डॉलर की डिमांड और बढ़ गई और आखिरकार रुपये के मुकाबले डॉलर में मजबूती दिखाई देने लगी.
Petrol-Diesel Price Today: देश की राजधानी दिल्ली में आज (शनिवार) को भी एक लीटर पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये और एक लीटर डीजल का भाव 87.62 रुपये पर ही टिका है. इसके साथ ही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की बात करें तो यहां पेट्रोल 104.21 रुपये प्रति लीटर और डीजल 92.15 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर है. आइए जानते हैं देश भर के अलग-अलग शहरों में क्या है पेट्रोल का रेट.
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