CDS बिपिन रावत को क्यों दी गई 17 तोपों की सलामी, ये है प्रोटोकॉल
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तोपें दागकर सलामी देना सेना में किसी के लिए सम्मान प्रदर्शित करने का एक तरीका है. कई मौकों पर तोपों की सलामी दी जाती है. भारत जैसे देशों में यह चलन ब्रिटिश साम्राज्य से आया है. स्वतंत्रता से पहले 101 तोपों की सलामी दी जाती थी, 101 तोपों की सलामी केवल भारत के सम्राट (ब्रिटिश क्राउन) को दी जाती थी.
देश की राजधानी नई दिल्ली में बरार स्क्वायर पर शुक्रवार का दिन सामान्य दिनों से अलग था. देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत ( CDS Bipin rawat) और उनकी पत्नी मधुलिका को नम आंखों से विदाई दी गई. दोनों बेटियों ने रीति-रिवाज के माता-पिता का अंतिम संस्कार किया. CDS और उनकी पत्नी का पार्थिव शरीर एक ही चिता में रखा गया. बड़ी बेटी कृतिका ने मुखाग्नि दी. इस दौरान CDS को सेना के बैंड की धुन के साथ 17 तोपों की सलामी दी गई. लेकिन उन्हें 21 तोपों की सलामी देकर विदा क्यों नहीं किया गया. जानते हैं इस बारे में प्रोटोकॉल क्या कहता है.
नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है. LG ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी में मजदूरों को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक काम से छुट्टी मिलेगी. साथ ही मजदूरों को मिलने वाली इस राहत के बदले कोई भी उनकी सैलरी नहीं काट सकेगा.
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