'Aadhaar को पहले अनिवार्य बनाया, अब उम्मीद करते हैं कि...', आधार के नए अलर्ट पर ओवैसी की केंद्र को खरी-खरी
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केंद्र सरकार ने देश की जनता को अलर्ट किया है कि वे आधार की कॉपी देने से पहले सतर्क रहें. केंद्र ने कहा है कि आधार का गलत तरीके से बांटने का नुकसान हो सकता है. इस पर ओवैसी ने कहा है कि आधार को पहले सरकारी एजेंसियों ने अनिवार्य बना दिया और अब लोगों को सतर्क कर रहे हैं.
AIMIM प्रमुख और सांसद असदु्द्दीन ओवैसी ने आधार कार्ड पर केंद्र सरकार की नीतियों की एक बार फिर से आलोचना की है. ओवैसी ने कहा है कि आधार कार्ड का इस्तेमाल लोगों को परेशान करने और उनकी जान लेने के लिए किया जाता रहा है. ओवैसी की ये टिप्पणी केंद्र सरकार के उस अलर्ट के बाद आई है जिसमें केंद्र ने लोगों को आगाह किया है कि वे अपने आधार कार्ड की कॉपी यूं ही नहीं बांटे क्योंकि इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है.
केंद्र सरकार ने अपनी नई गाइडलाइन में कहा है कि लोग सिर्फ मास्क्ड आधार ही शेयर करें. केंद्र सरकार ने कहा है कि आधार कार्ड की कॉपी किसी व्यक्ति या संस्था के साथ बेतरतीब या लापरवाही पूर्वक नहीं शेयर किया जाना चाहिए. क्योंकि इसका गलत ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है. और ऐसा होने पर यूजर को एक बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
आधार कार्ड को लागू करने का हमेशा से विरोध कर रहे ओवैसी ने कहा है कि सरकारी एजेंसियां सालों से आधार को अनिवार्य बनाने में जुटी रहीं. अब वे उम्मीद करते हैं कि आम लोग सरकार की नई अधिसूचना पर बहस करें अन्यथा अपना नुकसान उठाने के लिए तैयार रहें. ओवैसी ने सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह नहीं भूला जाना चाहिए कि आधार का इस्तेमाल भीड़ द्वारा लोगों को तंग करने और मारने के लिए किया गया है. एमपी के देवास में आधार न होने पर एक मुस्लिम विक्रेता की पिटाई की गई थी.
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ओवैसी ने कहा कि एक विकलांग व्यक्ति भंवरलाल जैन को एक पूर्व भाजपा पार्षद ने "संदेह" के आधार पर मार डाला था कि वह मुस्लिम था और क्योंकि वह आधार को नहीं दिखा सका था. कई और उदाहरण हैं जहां आधार घातक सिद्ध हुआ है.
बता दें कि ओवैसी इससे पहले भी आधार के अलग अलग इस्तेमाल का विरोध करते रहे हैं. पिछले साल जब सरकार आधार कार्ड को वोटर कार्ड से जोड़ने का प्लान बना रही थी तो भी ओवैसी ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को जोड़ने से कई नुकसान हैं, इससे नागरिकों की सुरक्षा और निजता को खतरा है. उन्होंने दावा किया था कि इससे सरकारों को जनता को दबाने, मताधिकार से वंचित करने और भेदभाव करने के अधिकार मिल जाएंगे.
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