31 साल से जारी है 'चोकर्स' का ये सिलसिला, इस बार सेमीफाइनल में अफ्रीकियों पर भारी पड़ी ये 5 गलतियां
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South africa Chokers: साउथ अफ्रीका वनडे क्रिकेट की वो टीम है, जो हर बड़े मौके पर वर्ल्ड कप में जाकर चूक जाती है. इसी कारण उन्हें क्रिकेट में 'चोकर्स' कहा जाता है, चोकर्स माने हर बड़े मैच में मौका गंवाने वाली टीम. वैसे अफ्रीकी टीम की कहानी 1992 के वर्ल्ड कप से शुरू होती है, जो 2023 वर्ल्ड कप तक कायम है.
Why South africa called chokers, World Cup 2023: क्रिकेट इतिहास में जब कभी भी दक्षिण अफ्रीका बनाम ऑस्ट्रेलिया 2023 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल का स्कोर बोर्ड देखा जाएगा तो पता चलेगा कि शुरुआती 11.5 ओवर्स में 24 पर 4 विकेट गंवाकर इस टीम ने मैच गंवा दिया था. डेविड मिलर ने 101 रन जरूर जड़े और उन्हें हेनरिक क्लासेन (47) का साथ भी जरूर मिला, जिसकी बदौलत टेम्बा बावुमा कंपनी ने 212 रनों का स्कोर खड़ा किया. पर जो फैन्स अंत तक ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच सेमीफाइनल मुकाबले को देखते रहे, उन्हें इस बात का बखूबी अंदाजा होगा कि अगर अफ्रीकी टीम ने 30 या 35 रन और जोड़े होते तो शायद 'चोकर' का टैग हट जाता और वो कंगारू टीम की जगह भारत से 19 नवंबर को अहमदाबाद में 2023 का फाइनल खेलते...
वैसे 16 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया vs साउथ अफ्रीका वर्ल्ड कप 2023 के सेमीफाइनल को देखा जाए तो अफ्रीकी टीम ने 5 ब्लंडर कीं. वहीं अफ्रीकी टीम ने मुश्किल आसान मिलाकर 5 कैच भी टपकाए.
गलती नंबर 1: कप्तान टेम्बा बावुमा पूरी तरह फिट नहीं थे, इसके बावजूद वो खेलने के लिए उतरे. नतीजा ये हुआ कि वो 0 पर आउट हो गए. यहीं से प्रेशर बनना शुरू हुआ और अफ्रीकी टीम एक के बाद एक 4 विकेट गंवा बैठी.
गलती नंबर 2: रासी वैन डेर डुसेन जैसा बल्लेबाज ने 31 गेंदों का सामना किया और 6 रन बनाए और चलते बने, ठीक उनके आउट होने पर ही अफ्रीकी टीम का स्कोर 24/4 हुआ था. गलती नंबर 3: अगर रासी कुछ देर और टिकते और रन ना भी बनाते तो भी आखिरी में अफ्रीकी टीम के हाथ में विकेट होते और क्लासेन और मिलर खुलकर खेल सकते थे. लगातार विकेट गिरने के कारण ही क्लासेन और मिलर को बंधकर खेलना पड़ा. शुरुआती बल्लेबाजों के बिखरने के कारण ही अफ्रीकी टीम संभल नहीं पाई और 25 ओवर्स में उनके 79 रन था. गलती नंबर 4: डेविड मिलर अगर नॉट आउट जाते और 47.2 ओवर्स में आउट नहीं होते तो भी अफ्रीकी टीम के पास ये मौका था कि कुछ रन और स्कोर हो सकते थे. मिलर जिस कैपिबिलिटी के बल्लेबाज हैं, वो और रन बना सकते थे. गलती नंबर 5: चलो अफ्रीकी बल्लेबाजों ने जो कुछ किया सो किया, लेकिन टेम्बा बावुमा कर क्या रहे थे? ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 5-137 (23.4 ओवर) था, इस समय कंगारू टीम एकदम बैकफुट पर थी इस स्कोर तक डेविड वॉर्नर मिचेल मार्श, ट्रेविस हेड, मार्नस लाबुशेन, ग्लेन मैक्सवेल आउट हो चुके थे. अंत में जोस इंग्लिस (28), मिचेल स्टार्क (16 नॉट आउट) पैट कमिंस (14 नॉट आउट) ने धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी की और 3 विकेट से अपनी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
वैसे प्रोटीज टीम का इस वर्ल्ड कप में भी चोकर्स का तमगा कायम रहा, चोकर्स यानी बड़े मुकाबले में चूकने वाली टीम. लेकिन अफ्रीकी टीम की ये कहानी 1992 से कायम है. 1992 में अफ्रीकी टीम दोबारा क्रिकेट खेलने के लिए उतरी थी.
1992 में हुआ दक्षिण अफ्रीका के साथ खेल
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