
हरियाणा में कुमारी सैलजा के सीएम पद की दावेदारी से BJP को कितना फायदा? । Opinion
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कुमारी सैलजा 12 सितंबर से हरियाणा में पार्टी के प्रचार से दूर थीं. हालांकि कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें मना लिया है. 26 सितंबर से सैलजा कांग्रेस का प्रचार करने लगेंगी. पर सैलजा पूरी शिद्दत के साथ सीएम पद की दावेदारी की बात कर रही हैं.
हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच आमने-सामने की टक्कर चल रही है. जाट और दलित वोटर्स के भरोसे कांग्रेस बढ़त बनाती दिख रही थी पर दलित नेता कुमारी सैलजा की नाराजगी पार्टी पर भारी पड़ती दिख रही है. कुमारी सैलजा 12 सितंबर से हरियाणा में पार्टी के प्रचार से दूर थीं. हालांकि कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें मना लिया है. 26 सितंबर से सैलजा कांग्रेस का प्रचार करने लगेंगी. रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट करके यह जानकारी दी है. पर इस बीच जिस तरह सैलजा खुद को सी एम पद का दावेदार बताने लगी हैं उससे क्या कांग्रेस को खतरा नहीं हो सकता है? 23 सितंबर को आज तक पंचायत में उन्होंने सीएम पद की दावेदारी से इनकार नहीं किया और फिर इंडियन एक्सप्रेस से भी बातचीत में भी उन्होंने अपने आपको सीएम पद का दावेदार बताया है. मतलब साफ है कि वो सीएम पद के लिए पार्टी नेतृत्व से आश्वस्त हो जाना चाहती हैं.
1-क्या सैलजा के समर्थन में राहुल गांधी भी हैं
अब जब कांग्रेस अध्यक्ष खरगे से मुलाकात के बाद कुमारी सैलजा ने साफ कर दिया है कि वो 26 सितंबर को नरवाना से प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगी. इस खबर के सामने आने के बाद यह भी खबर आई है कि राहुल गांधी भी हरियाणा चुनाव में प्रचार उतरने का दिन तय कर दिया है. जिस दिन कुमारी सैलजा चुनाव प्रचार के लिए उतरेंगी, उसी दिन यानी 26 सितंबर को राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार करने हरियाणा के मैदान में होंगे. कांग्रेस पार्टी को नजदीक से जानने वालों को पता है कि राहुल गांधी पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर हुड्डा के बजाय हमेशा से कुमारी सैलजा को तरजीह देते रहे हैं. बीच में ऐसी भी खबरें आईं थीं कि सैलजा को सीएम पद का उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस गेम कर सकती है.
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि सैलजा को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस उत्तर भारत में बीजेपी से लीड लेते हुए दिख सकती थी. पर हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा की मजबूत उपस्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता. कांग्रेस नेतृत्व किसी भी कीमत पर हुड्डा को नाराज कर हरियाणा में सफल होने का सपना नहीं पाल सकती है. शायद यही कारण था कि सैलजा की सीएम पद की उम्मीदवारी मुल्तवी हो गई. पर सैलजा के प्रति जो अपमानित करने वाले शब्द बोले गए और उनके खासमखास दो समर्थकों के टिकट जो जानबूझकर काटे गए उसे वो बर्दाश्त नहीं कर सकीं. आज करीब 12 दिनों से यही कारण है कि वो प्रचार से गायब हैं. हो सकता है कि राहुल गांधी को भी यह सब बुरा लगा हो.
अब कहा जा रहा है कि राहुल गांधी 26 सितंबर से हरियाणा में चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे. लेकिन सबसे खास बात, उन्होंने पहली चुनावी रैली असंध से उम्मीदवार शमशेर सिंह के लिए करना तय किया है. शमशेर सिंह को कुमारी सैलजा का करीबी माना जाता है. हुड्डा खेमे के लिए भी राहुल गांधी उसी दिन करेंगे प्रचार करेंगे. दोनों गुटों को साधे रखने में कांग्रेस को मदद मिलेगी. हुड्डा और सैलजा खेमे के बीच हरियाणा चुनाव में काफी तगड़ी लड़ाई है और कांग्रेस नहीं चाहती कि इनकी लड़ाई में पार्टी को कोई नुकसान हो जाए.
2-क्या यह कांग्रेस का पोलिटिकल गेम है

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