साधु का वेश, सारंगी की तान और फूट-फूट कर रोते लोग... जानिए 'जोगी गैंग' की मॉडस ऑपरेंडी
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उत्तर प्रदेश के अमेठी, मिर्जापुर, गोंडा, झारखंड के पलामू और बिहार के दरभंगा से ठगी की एक जैसी हैरतअंगेज घटनाएं सामने आई हैं. इसे सुन और देखकर हर कोई हैरान है. इन सभी घटनाओं में एक चीज कॉमन वो ठग है, जो कि साधु के वेश में सारंगी की तान पर लोगों को इमोशनल करके उनका बेटा होने का दावा करता है.
गांव के बीचों-बीच बैठ कर सारंगी की तान पर गीत सुनाता एक जोगी और फूट-फूट कर रोते लोग. 2 फरवरी दोपहर 3 बजे उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के खरौली गांव में इसी तरह खलबली मची हुई थी. कोई बीस साल पहले गायब हुआ एक लड़का जब जोगी बन कर अचानक गांव में लौट आया था. क्या मां, क्या बाप, क्या बुआ और क्या दादी, उसकी बात सुनकर हर किसी की आंखों से अपने बिछड़े लाडले का प्यार आंसुओं की शक्ल में झर-झर बह रहा था. ऊपर से सारंगी की तान पर जोगी ने राजा भतृहरि की वो दर्द भरी कहानी सुनाई, जिससे सुनने के बाद तो मानों मां का कलेजा मुंह को आया गया. कभी वो अपने बेटे को देखती, तो कभी उसकी बचपन की यादों में खो जाती.
देखते ही देखते ये खबर गांव खरौली से निकल कर आस-पास के इलाकों में फैल गई. लोग तकदीर के इस अदभुत खेल का गवाह बनने इस गांव की ओर दौड़े चले आए. जोगी के इर्द-गिर्द भावनाओं का समंदर उमड़ रहा था, कोई रोता था, कोई उसे जोग-सन्यास छोड़ कर घर गृहस्थी में वापस लौट आने की सलाह देता था, तो कोई उसे मां-बाप के ढलते उम्र का वास्ता, लेकिन दुनियादारी से दूर जोगी का मन जोग में कुछ ऐसा रमा कि उस पर किसी की बात का कोई भी असर नहीं था. असल में इसी गांव के रहनवाले रतिपाल सिंह का छोटा सा बेटा अरुण कुमार सिंह उर्फ पिंकू अब से कोई बीस साल पहले राजधानी दिल्ली में तब कहीं गुम हो गया था, जब वो किसी काम से दिल्ली गए थे.
रतिपाल सिंह और उनका पूरा परिवार अपने कलेजे के टुकड़े की याद में तिल-तिल कर मर रहा था. बेटे की गुमशुदगी के बाद उन्हें ना तो उसकी कोई खोज-खबर मिली और ना ही ये पता चला कि वो कहां और किस हाल में है. और तो और घरवालों को तो यहां तक पता नहीं था कि वो जिंदा भी है या नहीं? लेकिन 20 सालों से ज्यादा वक़्त से चलते इसी दिमाग़ी कश्मकश के बीच 2 फरवरी को अचानक एक जोगी ने खुद को रतिपाल सिंह का बिछड़ा हुआ बेटा बताते हुए जब उनके घर में दस्तक दी, तो सालों से कलेजे में दबी रही मां-बाप की सारी भावनाएं उफन पड़ीं. इन सालों में पिंकू इतना बदल चुका था कि यदि उसने खुद ही अपने मुंह से अपनी पहचान जाहिर ना की होती, तो शायद कोई पहचान पाता.
चूंकि अपनी मां से भिक्षा लिए बगैर उसका जोग सफल नहीं हो सकता था, इसलिए उसे ना सिर्फ अपने गांव बल्कि घरवालों के दरवाज़े पर लौटना पड़ा. लेकिन ये तो रही बेटे की कहानी. एक मां, उसका बुजुर्ग बाप और तमाम दूसरे नाते रिश्तेदार भला, बेटे के इस हठ को इतनी आसानी से कैसे मान लेते? तो उन्होंने बेटे को जोग यानी सन्यास जीवन छोड़ने के लिए मनाना शुरू कर दिया. लेकिन इसी मनाने-समझाने में घर लौटे बेटे ने एक ऐसी बात कह दी कि कुछ देर के लिए घरवाले भी सकते में आ गए. जोगी ने कहा ने कहा कि जिस मठ में उसे पाल-पोस कर बड़ा किया है और जिस गुरु से उसने दीक्षा ली है, जब तक वो उस गुरु का क़र्ज नहीं चुका देता, ना तो उसे मठ से आजा़दी मिलेगी और ना ही जोग से.
उसने खुद को झारखंड के पारसनाथ मठ का अनुयायी बताया और गुरु का कर्ज़ उतारने के लिए 11 लाख रुपये की भारी-भरकम रकम मांग ली. मरता क्या ना करता? घरवाले अब जोगी के आगे गिड़गिड़ाने लगे. बुजुर्ग बाप अपनी हैसियत का वास्ता देने लगा और मां अपने दूध का क़र्ज़ वापस मांगने लगी. अब बात मोल-भाव पर आ गई और आखिरकार 3 लाख 60 हज़ार रुपये पर पिंकू की घरवापसी का सौदा तय हुआ. बेटे के प्यार में पागल पिता ने ना सिर्फ उसका जोग खत्म करवाने के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन के एक हिस्से का सौदा तय कर लिया, बल्कि उसकी घर वापसी होने तक उसके संपर्क में रहने के लिए उसे आनन-फानन में एक मोबाइल फोन भी खरीद कर दिया. बेटा वहां से चला गया.
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